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जापान ने समंदर में छोड़ा न्यूक्लियर प्लांट का 133 करोड़ लीटर पानी, डर गया चीन, लगाई ये पाबंदी

सुनामी से तबाह हुए फुकुशिमा दाइची न्यूक्लियर प्लांट से 133 करोड़ लीटर रेडियोएक्टिव पानी जापान ने छोड़ना शुरू कर दिया है। इस पानी के छोड़ने से चीन और हांगकांग व दक्षिण कोरिया जैसे देश डर गए हैं। चीन ने जापान पर यह पाबंदी लगा दी है।

Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Published on: August 24, 2023 12:36 IST
जापान ने समंदर में छोड़ा न्यूक्लियर प्लांट का 133 करोड़ लीटर पानी, डर गया चीन, लगाई ये पाबंदी- India TV Hindi
Image Source : AP जापान ने समंदर में छोड़ा न्यूक्लियर प्लांट का 133 करोड़ लीटर पानी, डर गया चीन, लगाई ये पाबंदी

Japan Release Radioactive Water: जापान ने समुद्र में फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट का पानी छोड़ना शुरू कर दिया। जापानी समय के मुताबिक दोपहर 1:03 बजे ये प्रोसेस शुरू किया गया। जापान टाइम्स के मुताबिक, पहले दिन करीब 2 लाख लीटर पानी छोड़ा जाएगा। इसके बाद इसे बढ़ाकर 4.60 लाख लीटर कर दिया जाएगा। पूर्व घोषणा के मुताबिक जापान ने समुद्र में फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट का पानी छोड़ना शुरू कर दिया है। न्यूक्लियर प्लांट को मेंटेन करने वाली कंपनी TEPCO ने बताया कि सबसे पहले सैंपल के तौर पर शुरुआती टैंक से थोड़ा पानी छोड़ा गया। इसके पहले और बाद में सभी कंडीशन्स चेक की गईं। इसमें कोई गड़बड़ी नजर नहीं आई। प्लांट से पानी को रिलीज करने वाला पंप 24 घंटे एक्टिव रहेगा।

12 साल पहले फुकुशिमा परमाणु प्लांट में हुआ था भयानक विस्फोट

12 साल पहले 2011 में आए भूकंप और सूनामी की वजह से फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट में भयानक विस्फोट हुआ था। इसके बाद से ही वहां 133 करोड़ लीटर रेडियोएक्टिव पानी जमा है। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक वहां जमा पानी करीब 500 ओलंपिक साइज स्विमिंग पुल के जितना है। जैसे ही जापान ने इस पानी को समुद्र में मिलाने की बात कही, चीन और दक्षिण कोरिया के लोग डरे हुए हैं।

UN की हामी के बाद छोड़ा गया रेडियोएक्टिव पानी

समुद्र में रेडियोएक्टिव पानी रिलीज करने के प्लान को UN की एटॉमिक एजेंसी IAEA अप्रूव कर चुकी है। एक हजार स्टेनलेस स्टील टैंक्स में रखे 133 करोड़ लीटर पानी को एक साथ नहीं बल्कि 30 साल तक रिलीज किया जाएगा। रोज 5 लाख लीटर रेडियोएक्टिव पानी समुद्र में मिलाया जाएगा। अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि समुद्र में इसका असर कम हो। फिलहाल जिस इलाके में पानी छोड़ा जाएगा वहां से 3 किलोमीटर तक के इलाके में मछली पकड़ने पर रोक लगा दी गई है।

कहां से आया करोड़ों लीटर रेडियोएक्टिव पानी?

12 साल पहले 2011 में आए भूकंप और सूनामी की वजह से फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट में भयानक विस्फोट हुआ था। इसके बाद से ही वहां 133 करोड़ लीटर रेडियोएक्टिव पानी जमा है। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक वहां जमा पानी करीब 500 ओलंपिक साइज स्विमिंग पुल के जितना है। जैसे ही जापान ने इस पानी को समुद्र में मिलाने की बात कही, चीन और दक्षिण कोरिया के लोग डरे हुए हैं। 11 मार्च को  जापान में 9.1 तीव्रता का भूकंप आया और इससे  सुनामी आ गई। भूकंप के झटके महसूस होते ही फुकुशिमा में समुद्र किनारे बने न्यूक्लियर प्लांट के रिएक्टर बंद कर  रिएक्टर की कूलिंग के लिए जनरेटर स्टार्ट कर दिए गए। आने वाले कई महीनों तक न्यूक्लियर रिएक्टर्स में चेन रिएक्शन होने से रोकने के लिए उसे 133 करोड़ लीटर समुद्र के पानी से ठंडा रखा गया।

चीन को किस बात का डर?

पानी में 64 तरह के रेडियोएक्टिव मटेरियल घुल गए। इनमें कार्बन-14, आयोडिन-131, सीजियम- 137, स्ट्रोनटियम-90 कोबाल्ट , हाइड्रोजन-3 और ट्राइटियम ऐसे एलिमेंट्स हैं, जो इंसानों के लिए हानिकारक हैं। इनमें से ज्यादातर रेडियोएक्टिव मटेरियल्स की लाइफ काफी कम होती है। इससे इनका असर खत्म हो चुका है। हालांकि, कार्बन-14 जैसे कुछ मटेरियल हैं जिसका असर कम होने में 5 हजार साल लगते हैं। इसके अलावा न्यूक्लियर रिएक्टर पानी में अभी भी ट्राइटियम के कण मौजूद हैं। इसकी वजह से चीन और  साउथ कोरिया को डर है कि ये सी फूड यानी मछली, क्रैब और समुद्री जीवों के जरिए इंसानों के शरीर तक पहुंच सकता है। 

चीन और हांगकांग ने जापान के सीफूड पर लगाई पाबंदी

सुनामी से तबाह हुए फुकुशिमा दाइची न्यूक्लियर प्लांट के संचालक का कहना है कि उसने गुरुवार को प्रशांत महासागर में रेडियोधर्मी पानी छोड़ना शुरू कर दिया। इसके बाद से जहरीले पानी के फूड से बचने के लिए चीन ने जापान से सीफूड पर प्रतिबंध लगा दिया है। रेडियोएक्टिव पानी छोड़ने के बाद हांगकांग ने भी जापान से सी फूड इंपोर्ट करने पर ही पाबंदी लगा दी है।

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