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चंद्रमा पर सो गया जापान का लैंडर, धरती से टूटा संपर्क, अब जागने की कितनी है आस?

जापान भी अपने महत्वाकांक्षी मून मिशन के लिए लंबे समय से प्रयासरत था। अब चंद्रमा पर जापान का लैंडर उतर चुका है। लेकिन दिक्कत की बात यह है कि बैटरी चार्ज न हो पाने के कारण यह सो गया। इसका संपर्क भी धरती से टूट गया है।

Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Published on: January 22, 2024 11:36 IST
चंद्रमा पर सो गया जापान का लैंडर- India TV Hindi
Image Source : FILE चंद्रमा पर सो गया जापान का लैंडर

Japan Moon Mission: जापान ने अपने चंद्रमा मिशन के तहत लैंडर चंद्रमा की सतह पर उतार दिया है। लेकिन दिक्कत की बात यह है कि यह चंद्रमा पर ही सो गया है। अब इसके जागने की कितनी उम्मीद है, यह कहना मुश्किल है। बताया जा रहा है कि इसकी बैटरी खत्म हो गई है। इस कारण लैंडर का पृथ्वी से संपर्क टूट गया है। 

स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून सौर ऊर्जा में खराबी के कारण बंद हो गया। इस कारण जापान का उम्मीदों से भरा मून मिशन अब खतरे में पड़ गया है। सोलर पैनल में खराबी के कारण इसकी बैटरी पूरी तरह से चार्ज नहीं हो पा रही है। हालांकि लैंडर के बंद होने की कोई आधिकारिक सूचना नहीं आई है। लेकिन यह अनुमान लगाया जा रहा है कि बैटरी डिस्चार्ज हो चुकी होगी। वैसे लैंडर के जरिए जापान का चंद्रमा मिशन कामयाब रहा। जापान पहली बार लैंडर चंद्रमा की सतह पर पहुंचने में सफल रहा।

सोलर पैनल सूरज की गलत दिशा में

माना जा रहा है कि लैंडर का सोलर पैनल गलत दिशा में है। इस कारण इस पर रोशनी नहीं पड़ रही। अगले महीने सूर्य की दिशा बदलने की उम्मीद जताई जा रही है। अंतरिक्ष एजेंसी के प्रमुख हितोशी कुनिनका ने स्थिति को समझाते हुए कहा था कि चंद्रमा पर सौर कोण बदलने में 30 दिन लगते हैं। ऐसे में जब सौर कोण बदलेगा तो प्रकाश दूसरी तरफ से आएगा। इससे प्रकाश सौर सेल से टकरा सकता है। अंतरिक्ष एजेंसी को उम्मीद है कि सूर्य की स्थिति में बदलाव चंद्रमा लैंडर को फिर से जीवन दे सकता है।

जापान ने रचा इतिहास

चांद पर लैंडिग के जरिए जापान ने अंतरिक्ष विज्ञान में एक नया इतिहास रच दिया था। जापान चांद पर लैंडर पहुंचाने वाला पांचवां देश बन गया। लेकिन इस दौरान यह जहां उतरा वहां छाया आ रही थी। वैसे जापान का मिशन कुछ हद तक कामयाब रहा। इस लैंडर को मून स्नाइपर कहते हैंे। क्योंकि यह सटीक लैंडिंग कर सकता है। जहां दूसरे स्पेसक्राफ्ट को लैंडिंग के लिए कई किमी का एरिया दिया जाता है। जापान के स्लिम लैंडर ने सिर्फ 100 मीटर के एरिया में सटीक लैंडिग की थी।

25 दिसंबर को चंद्रमा की कक्षा में हुआ था प्रवेश

एसएलआईएम को सितंबर में प्रक्षेपित किया गया था और 25 दिसंबर को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था। इससे पहले जापान ने कई बार मून मिशन के लिए प्रयास किए हैं। जापान चांद पर पहुंच कर उस एलीट स्पेस क्लब का हिस्सा बन गया जहां अभी तक सिर्फ चार देश थे।

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