Friday, November 22, 2024
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बांग्लादेश में जिस जमात-ए-इस्लामी पर लगा था बैन, उसने भारत को लेकर कही ये बात; US-चीन के लिए उमड़ा प्रेम

जमात-ए-इस्लामी ने बांग्लादेश चुनाव में भाग लेने की इच्छा जाहिर की है। उन्होंने कहा, “हमारा मानना ​​है कि अंतरिम सरकार को समय दिया जाना चाहिए, लेकिन यह अनिश्चितकालीन नहीं होना चाहिए। हम नए चुनाव होने पर अपनी स्थिति समय रहते स्पष्ट कर देंगे। लेकिन जब भी चुनाव होंगे, हम भाग लेंगे।”

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published on: August 28, 2024 16:59 IST
बांग्लादेश में जमात-ए-इस्लामी संगठन - India TV Hindi
Image Source : AP बांग्लादेश में जमात-ए-इस्लामी संगठन

ढाका: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने जमात-ए-इस्लामी संगठन पर लगे बैन को हटा लिया है। इस संगठन पर पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की ओर से आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप पर यह बैन लगाया गया था। मगर अब मोहम्मद यूनुस ने इस बैन को हटा दिया है। इसके बाद जमात-ए-इस्लामी संगठन ने भारत को लेकर बड़ा बयान दिया है। संगठन के प्रमुख शफीकुर रहमान ने कहा है कि उनकी पार्टी भारत के साथ सौहार्दपूर्ण और स्थिर संबंध चाहती है, लेकिन साथ ही कहा कि नई दिल्ली को पड़ोस में अपनी विदेश नीति पर पुनर्विचार करने की जरूरत है, क्योंकि द्विपक्षीय संबंधों का मतलब एक-दूसरे के आंतरिक मुद्दों में हस्तक्षेप करना नहीं है।

बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी के अमीर (प्रमुख) रहमान ने कहा कि उनकी पार्टी भारत और बांग्लादेश के बीच घनिष्ठ संबंधों का समर्थन करती है, लेकिन यह भी मानती है कि बांग्लादेश को “अतीत को पीछे छोड़कर” अमेरिका, चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के साथ मजबूत और संतुलित संबंध बनाए रखना चाहिए। रहमान (65) ने दलील दी कि जमात-ए-इस्लामी को भारत विरोधी मानने की नई दिल्ली की धारणा गलत है। उन्होंने कहा, “जमात-ए-इस्लामी किसी देश के खिलाफ नहीं है; यह एक गलत धारणा है। हम बांग्लादेश के समर्थक हैं और केवल बांग्लादेश के हितों की रक्षा करने में रुचि रखते हैं।” उन्होंने जोर दिया कि इस धारणा को बदलने की जरूरत है।

चीन-पाकिस्तान के लिए उमड़ा प्रेम, भारत से दिक्कत

जमात-ए-इस्लामी ने कहा कि भारत ने पूर्व में कुछ ऐसे काम किए हैं, जो बांग्लादेशियों को पसंद नहीं है। वहीं दूसरी तरफ यह संगठन चीन, पाकिस्तान और अमेरिका जैसे देशों से बेहतर संबंध बनाने और उनकी तारीफें करने से नहीं थक रहा। यह संगठन भारत विरोधी माना जाता है। अब इसका कहना है कि  “भारत हमारा पड़ोसी है और हम अच्छे, स्थिर और सामंजस्यपूर्ण द्विपक्षीय संबंध चाहते हैं। हालांकि, भारत ने अतीत में कुछ ऐसे काम किए हैं जो बांग्लादेश के लोगों को पसंद नहीं आए।” उन्होंने कहा, “उदाहरण के लिए, 2014 के बांग्लादेश चुनावों के दौरान, एक वरिष्ठ भारतीय राजनयिक ने ढाका का दौरा किया और निर्देश दिया कि किसे भाग लेना चाहिए और किसे नहीं। यह अस्वीकार्य था, क्योंकि यह पड़ोसी देश की भूमिका नहीं है।

हिंदुओं पर हमले का किया खंडन

बांग्लादेश में जमात कार्यकर्ताओं द्वारा हिंदुओं पर हमले के आरोपों से संबंधित प्रश्न का उत्तर देते हुए रहमान ने इन्हें “निराधार” बताते हुए इनका खंडन किया। रहमान ने जमात-ए-इस्लामी के नकारात्मक चित्रण के लिए दुर्भावनापूर्ण मीडिया अभियान को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि पिछले 15 वर्षों में शेख हसीना सरकार द्वारा किए गए अत्याचारों का सबसे ज्यादा शिकार होने के बावजूद, “हम अब भी डटे हैं और जमात को अब भी लोगों का समर्थन प्राप्त है।” पाकिस्तान के साथ संबंधों पर रहमान ने कहा, “हम उनके साथ भी अच्छे संबंध चाहते हैं। हम उपमहाद्वीप में भारत, पाकिस्तान, नेपाल, म्यांमा, भूटान और श्रीलंका सहित अपने सभी पड़ोसियों के साथ समान और संतुलित संबंध चाहते हैं। स्थिरता बनाए रखने के लिए यह संतुलन बहुत जरूरी है।” बांग्लादेश को पहले पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना जाता था और वह 1971 के मुक्ति संग्राम के बाद पाकिस्तान से अलग होकर स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में अस्तित्व में आया। (भाषा) 

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