Saturday, November 16, 2024
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SCO शिखर सम्मेलन में जयशंकर ने चीन को लताड़ा, अंतरराष्ट्रीय कानूनों का हवाला देकर कही ये गंभीर बात

किर्गिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन का नाम लिए बिना उसे खूब खरी-खोटी सुनाई है। भारत ने चीन की ओर इशारा करते हुए कहा कि प्रत्येक देश को एक दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना होगा। अंतरराष्ट्रीय नियमों का सख्ती से पालन करना होगा।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: October 26, 2023 15:35 IST
एससीओ समिट में एस जयशंकर, विदेश मंत्री। - India TV Hindi
Image Source : PTI एससीओ समिट में एस जयशंकर, विदेश मंत्री।

भारत ने विभिन्न देशों की संप्रभुता के साथ खिलवाड़ करने वाले चीन को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के दौरान खूब धोया है। विदेश मंत्री ने चीन पर कटाक्ष करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि सभी देशों को एक दूसरे देश की संप्रभुता का सम्मान करना होगा। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कानूनों का सख्ती से पालन भी करना होगा। जयशंकर का इशारा सीधे तौर पर चीन की ओर था। उन्होंने यह भी कहा कि एससीओ को अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों का सख्ती से पालन करते हुए, एक-दूसरे की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करके और आर्थिक सहयोग को प्रोत्साहित करते हुए क्षेत्र में स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।
 
जयशंकर ने यह टिप्पणी उस वक्त की, जब वह किर्गिस्तान के बिश्केक में एससीओ के शासनाध्यक्षों की परिषद के 22वें सत्र को संबोधित कर रहे थे। विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘एससीओ को अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों का सख्ती से पालन करते हुए एक-दूसरे की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करके, आर्थिक सहयोग को प्रोत्साहित करके क्षेत्र में स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में मध्य एशियाई राष्ट्रों के हितों की केंद्रीयता एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। बीजिंग, पाकिस्तान में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) में अरबों डॉलर का निवेश कर रहा है।
 
चीन करता है संप्रभुता से खिलवाड़
चीन सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि अन्य देशों के सीमा क्षेत्रों में भी अवैध गतिविधियों को अंजाम देकर उसकी संप्रभुता और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करता है। भारत ने पाकिस्तान में इसीलिए सीपीईसी परियोजना का विरोध किया है, क्योंकि यह गलियारा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजर रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘क्षेत्र के भीतर व्यापार में सुधार के लिए हमें मजबूत कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे की जरूरत है। ऐसी पहलों में सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान (अवश्य) किया जाना चाहिए।’’ विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘ग्लोबल साउथ (अविकसित देशों) को अपारदर्शी पहलों से उत्पन्न होने वाले अव्यवहार्य ऋण के बोझ तले नहीं दबाया जाना चाहिए। भारत-मध्य एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईसी) और अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (आईएनएसटीसी) समृद्धि प्रवर्तक बन सकते हैं।’’ (भाषा) 
 
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