Israel Azerbaijan: इजराइल और हमास में जंग जारी है। इसी बीच इजराइल के विरोध में सारे इस्लामिक देश एक हो गए हैं। यहां तक कि यूएन में भी गाजा में जंग विराम का जो प्रस्ताव लाया गया, अमेरिका के वीटो के बाद इस्लामिक देश भड़क गए। लेकिन इन सबके बीच एक मुस्लिम देश इजराइल के पक्ष में है। जानिए इसके पीछे क्या है वजह?
इजराइल का यह दोस्त देश है मुस्लिम देश अजरबैजान। अजरबैजान खुद आर्मीनिया से युद्ध में उलझा हुआ है। इसी बीच इजराइल अजरबैजान से तेल आयात करने वाले देशों की सूची में अग्रणी हो गया है।
इजराइल को सबसे ज्यादा तेल बेचता है मुस्लिम देश अजरबैजान
कई तरह के अंतरराष्ट्रीय दबावों के बावजूद दोनों देशों ने अपना ये सहयोग बढ़ाया है। अजरबैजान ने 16-18 फरवरी को म्यूनिख में सुरक्षा सम्मेलन के दौरान जनवरी 2024 के लिए अपना तेल निर्यात डेटा प्रकाशित किया। डेटा से पता चलता है कि उससे तेल निर्यात करने वाले देशों की तालिका में इजराइल पहले स्थान पर है। अजरजैबान का डेटा दिखाता है कि उसने इजरायल को 523.5 हजार टन का निर्यात किया। ये करीब 297 मिलियन डॉलर का रहा। यह आंकड़ा अजरबैजान से तेल आयात करने वाले थाईलैंड, इटली और दूसरे देशों की तुलना में काफी अधिक है।
म्यूनिख में ही इजरायल के राष्ट्रपति इसहाक हर्जोग ने अजरबैजान के प्रेसीडेंट राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव से मुलाकात भी की। अजरबैजान की राजधानी बाकू में अलीयेव के कार्यालय ने उनके और उनके इजरायली समकक्ष के बीच बैठक के संबंध में एक बयान जारी किया। इस बयान में बताया गया है कि दोनों राष्ट्रपतियों ने अजरबैजान और इजरायल के बीच सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों, वाणिज्यिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और मानवीय संबंधों पर चर्चा की। एक तरफ मुस्लिम देशों के दवाब को दरकिनार कर अजरबैजान इजरायल को तेल बेच रहा है तो साथ ही उससे हथियार भी खरीद रहा है।
अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच दोनों देशों में प्रगाढ़ हो रहे संबंध
मुस्लिम बाहुल्य अजरबैजान की रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि गाजा युद्ध की वजह से अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद राष्ट्रपति अलीयेव ने इजरायल के साथ संबंधों को बढ़ावा देने की अपनी नीति जारी रखी है। म्यूनिख में सुरक्षा सम्मेलन में भाग लेने वाले इजरायली अधिकारियों और यहूदी नेताओं ने दुनिया में यहूदी विरोधी भावना की स्थिति पर डायस्पोरा मंत्रालय की नवीनतम रिपोर्ट के बारे में चिंता व्यक्त की। इसमें यहूदी विरोधी भावना में बहुत चिंताजनक वृद्धि का संकेत दिया गया है। इसमें आर्मेनिया में भी यहूदी विरोधी भावनाओं के बढ़ने की बात कही गई है।