इस्लामाबाद: पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में एक शीर्ष अदालत ने पांच पूर्व पाकिस्तानी नौसेना अधिकारियों की फांसी पर रोक लगा दी है। यह वो अधिकारी हैं जिन्हें पहले ‘जनरल कोर्ट मार्शल’ के एक आदेश के द्वारा मौत की सजा सुनाई गई थी। ‘डॉन न्यूज’ की खबर के अनुसार इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बाबर सत्तार ने नौसेना अधिकारियों के अनुरोध पर लिखित आदेश जारी किया है। सोमवार को कोर्ट में इस मामले में सुनवाई हुई थी। फांसी की सजा पर रोक नौसेना अधिकारियों के लिए बड़ा राहत मानी जा रही है।
नहीं दी गई कानूनी सहायता
नौसेना के अधिकारियों ने कहा था कि 'जनरल कोर्ट मार्शल' के आदेश के दौरान उन्हें कानूनी सहायता नहीं दी गई थी। इस बारे में कोई और विवरण उपलब्ध नहीं था कि पांच पूर्व नौसेना कर्मियों को मौत की सजा क्यों सुनाई गई थी। अदालत ने निर्देश दिया कि “चूंकि जीवन के अधिकार और उचित प्रक्रिया के संरक्षण का मूल प्रश्न है, इसलिए याचिका के निपटारे तक याचिकाकर्ताओं को फांसी नहीं दी जाएगी।”
क्या है कोर्ट मार्शल
बता दें कि, कोर्ट मार्शल एक प्रकार की सैन्य अदालत है जो सैन्य कानून के तहत किए गए अपराधों के लिए सशस्त्र बलों के सदस्यों पर मुकदमा चलाने का अधिकार रखती है। कोर्ट मार्शल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करके सेना के भीतर अनुशासन और व्यवस्था बनाए रखना है कि सशस्त्र बलों के सदस्यों को उनके कार्यों के लिए जवाबदेह ठहराया जाए। (भाषा)
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