Saturday, November 23, 2024
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क्या "प्रचंड" को नेपाल का पीएम बनवाने में है चीन का हाथ?...जानें ड्रैगन की साजिश

Nepal New PM Prachand: माओवादी नेता पुष्प कमल दहल के नेपाल का प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही भारत वहां के हर घटनाक्रमों पर पैनी नजर रख रहा है। तीसरी बार पीएम बने प्रचंड और पूर्व पीएम केपी शर्मा ओली का पूर्व इतिहास भारत के साथ संबंधों के लिहाज से अच्छा नहीं रहा है। दोनों नेता चीन के समर्थक हैं।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published on: December 26, 2022 22:34 IST
नेपाल के पीएम प्रचंड बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ (फाइल)- India TV Hindi
Image Source : PTI नेपाल के पीएम प्रचंड बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ (फाइल)

Nepal New PM Prachand: माओवादी नेता पुष्प कमल दहल के नेपाल का प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही भारत वहां के हर घटनाक्रमों पर पैनी नजर रख रहा है। तीसरी बार पीएम बने प्रचंड और पूर्व पीएम केपी शर्मा ओली का पूर्व इतिहास भारत के साथ संबंधों के लिहाज से अच्छा नहीं रहा है। दोनों नेता चीन के समर्थक हैं। जबकि पूर्व पीएम शेर बहादुर देउबा ने भारत के साथ अच्छे संबंधों को बहाल करने का प्रयास किया था। 275 सदस्यीय प्रतिनिध सभा में 89 सीटें जीतने वाले शेर बहादुर देउबा को ही प्रचंड पहले समर्थन दे चुके थे। मगर आखिरी वक्त में उन्होंने भारत विरोधी नेता केपी शर्मा ओली से हाथ मिला लिया। ऐसा माना जा रहा है कि प्रचंड ने चीन के कहने पर ऐसा किया है। क्योंकि प्रचंड भी चीन के समर्थक हैं। ऐसे में भारत के खिलाफ चीन की यह साजिश कामयाब होती दिख रही है।

हर तरफ से भारत को घेरने में जुटा चीन

चीन ने पाकिस्तान के बाद अब नेपाल के रास्ते भी भारत में अशांति फैलाने की साजिश रच दी है। ऐसा माना जा रहा है कि प्रचंड के पीएम बनने से भारत और नेपाल के संबंध अधिक तनावपूर्ण हो सकते हैं। सीमा पर नेपाल चीनी साजिश के दबाव में तनाव पैदा करने वाली हरकतें कर सकता है। प्रचंड और गठबंधन के दूसरे नेता केपी शर्मा ओली दोनों का झुकाव चीन की ओर ही रहा है। विदेश नीति के विशेषज्ञों ने सोमवार को कहा कि भारत को नेपाल के घटनाक्रम पर सावधानी से नजर रखनी होगी और समग्र संबंधों को आगे बढ़ाने पर ध्यान देना होगा। उनकी यह टिप्पणी पूर्व माओवादी नेता पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' के नेतृत्व वाली नयी नेपाल सरकार के तहत चीन के लाभ की स्थिति में होने की आशंकाओं के बीच आई है।

नेपाल के पूर्व विदेश मंत्री ने भी जताई चिंता
प्रचंड पूर्व प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली सीपीएन-यूएमएल और पांच अन्य छोटे दलों के साथ हाथ मिलाकर तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने हैं। नेपाल के पूर्व विदेश मंत्री रमेश नाथ पांडे ने कहा कि वर्तमान स्थिति भारत-नेपाल संबंधों के लिए उत्साहजनक नहीं है, क्योंकि "वर्तमान नेताओं" ने अतीत में संबंधों में खटास पैदा की थी। उन्होंने कहा, ‘‘मौजूदा नेताओं के पिछले रिकॉर्ड उत्साहजनक नहीं हैं। उन्होंने रिश्तों में नयी अड़चनें पैदा कीं तथा अवांछित चीजों से दूर होने के बजाय, उन्होंने और अधिक परेशानियां पैदा कीं।’’ सीपीएन-यूएमएल नेता ओली को व्यापक रूप से चीन समर्थक नेता के रूप में देखा जाता है और फरवरी 2018 तथा जुलाई 2021 के बीच जब वह प्रधानमंत्री थे, तब भारत और नेपाल के बीच संबंधों में कुछ तल्खी देखने को मिली थी।

भारत को रखनी होगी पैनी नजर
नेपाल में भारत के पूर्व राजदूत और 'काठमांडू डाइलेमा, रीसेटिंग इंडिया नेपाल टाइज' के लेखक रंजीत राय ने कहा, "यह निश्चित रूप से एक अप्रत्याशित घटनाक्रम है, क्योंकि नेपाली कांग्रेस के नेतृत्व वाले पांच दलों का गठबंधन इस बात पर आम सहमति नहीं बना सका कि पहले प्रधानमंत्री कौन होगा।" उन्होंने कहा, ''भारत को घटनाक्रम पर सावधानीपूर्वक नजर रखनी होगी, क्योंकि चीन क्षेत्र में कम्युनिस्ट दलों के विभिन्न गुटों को एकजुट करने की कोशिश कर रहा है। हमें इस पर नजर रखनी होगी।'' सितंबर 2013 से फरवरी 2017 तक काठमांडू में भारतीय राजदूत रहे राय ने कहा कि प्रचंड भारत और नेपाल के बीच संबंधों के महत्व से अवगत हैं। उन्होंने कहा, ''साथ ही, मैं यह कहना चाहूंगा कि हमने प्रधानमंत्री के रूप में प्रचंड के साथ उनके पिछले दो कार्यकालों के दौरान काम किया है। उन्होंने हाल ही में भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा के निमंत्रण पर भारत का दौरा किया था। वह भारत और नेपाल के बीच संबंधों के महत्व से अवगत हैं।’

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