Tension between India China on LAC:क्या चीन इस बार गलवान घाटी से भी बड़ी घटना को अंजाम देना चाहता है, क्या चीन ने इसकी तैयारी अबकी बार कई गुना ज्यादा मजबूत कर ली है, वास्तविक नियंत्रण रेखा पर आखिरकार चीन के सैनिकों की संख्या में कोई कमी नहीं आना क्या संकेत दे रहा है?...क्या भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर हालात फिर से बिगड़ने लगे हैं, क्या भारत और चीन के बीच वर्तमान में गलवान घाटी से भी बड़ा टकराव होने वाला है?...आखिर चीन का इरादा क्या है, जिसे लेकर भारत के थल सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडेय ने एलएसी के हालात को "अप्रत्याशित" बताया है।
कई बार जो दिखता है वह होता नहीं और जो होता है वह दिखता नहीं...भारत-चीन बॉर्डर पर मौजूदा हालात कुछ ऐसी ही कहानी बयां कर रहे हैं। सितंबर 2022 में उज्बेकिस्तान में हुए एससीओ शिखर सम्मेलन से पहले भले ही भारत और चीन दोनों देशों ने सीमा के विवादित क्षेत्रों से अपने-अपने सैनिकों को पीछे हटाने का फैसला कर लिया हो, लेकिन चीन ने यह सब केवल दिखाने के लिए किया है। विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार एलएसी पर अभी भी भारी संख्या में चीन के सैनिक डटे हैं। उनकी संख्या में कोई खास कमी नहीं आई है। भारतीय सेना प्रमुख ने भी सीमा के विवादित क्षेत्रों में कोई कमी नहीं आने की बात की पुष्टि की है। इससे समझा जा सकता है कि भारत और चीन के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर फिलहाल हालात भले ही स्थिर हैं, लेकिन वह अभी भी बेहद तनावपूर्ण बने हैं।
गलवान घाटी से भी बड़ी घटना को अंजाम देने के फिराक में चीन
भारत और चीन के बीच जून 2020 में गलवान घाटी में हिंसक झड़प हो गई थी। इसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। जवाब में चीन के भी काफी सैनिक मारे गए थे। पहले इस घटना को अचानक और अप्रत्याशित तौर पर हुआ टकराव बताया जा रहा था। मगर हाल ही में कई विदेशी अध्ययन में यह बात सामने आ चुकी है कि गलवान घाटी में हुई चीनी सैनिकों की घुसपैठ अकारण नहीं थी, बल्कि वह एलएसी के सभी विवादित क्षेत्रों पर कब्जा करना चाहता था। मगर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग इसमें सफल नहीं हो सके थे। सूत्रों के अनुसार इस बार चीन एलएसी पर गलवान घाटी से भी बड़ी घटना को अंजाम देने के फिराक में है। यह बात भारतीय सेना को भी पता है। तभी तो थल सेना प्रमुख ने शनिवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में फिलहाल स्थिति स्थिर तो है, लेकिन वह "अप्रत्याशित" है। उन्होंने खासकर डेमचोक और देपसांग क्षेत्र का नाम लिए बगैर दो क्षेत्रों के विवादों को दोनों देशों के बीच हल करने पर जोर दिया। सेना प्रमुख के अनुसार सात में से पांच मुद्दों को बातचीत से हल कर लिया गया है। मगर एलएसी पर चीनी सैनिकों की संख्या में कोई कमी नहीं आई है।
आखिर क्यों डटे हैं चीन के सैनिक
एलएसी के विवादित क्षेत्रों में चीन के सैनिक अब भी क्यों डटे हैं, इसका जवाब उनकी नीयत और इरादों को देखकर लगाया जा सकता है। हाल ही में विदेशी विशेषज्ञों ने अपने एक अध्ययन में दावा किया है कि चीन पिछले 15 वर्षों से भारतीय सीमा से लगे कई विवादित भूभागों पर कब्जा जमाना चाहता है। आक्साई चिन क्षेत्र के कई इलाके भी इसमें शामिल हैं। इसलिए वह वर्ष में सात-आठ बार भारतीय सीमा के विवादित क्षेत्रों में घुसपैठ भी करता है। भारतीय सेना के अनुसार भी चीनी सैनिक वर्ष में इससे भी ज्यादा संख्या में घुसपैठ का प्रयास करते हैं। इसलिए सेना पूरी तरह सतर्क है। चीन के सैनिकों का मंसूबा इस बार गलवान घाटी से भी बड़ी घटना को अंजाम देना का लग रहा है। शायद इसी लिए सेना प्रमुख ने कहा है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हमें अपनी कार्रवाई का बहुत सावधानी से आकलन करने की जरूरत है। ताकि भारत अपने हितों एवं संवेदनशीलताओं की सुरक्षा कर पाए। हालांकि भारत को उम्मीद है कि 17वें दौर की आगाी वार्ता में कई मुद्दों का हल निकल सकेगा।
विवादित क्षेत्रों में चीन बना रहा बेस
सीमा पर विवादित क्षेत्रों में चीन कई आर्मी बेस तैयार कर चुका है। यह भारत के लिए सबसे अधिक चिंता का विषय है। चीन यह सब युद्ध की तैयारी के मद्देनजर कर रहा है, क्योंकि उसकी नीयत और इरादा दोनों ही ठीक नहीं है। चीन काफी लंबे समय से भारत के कई भूभागों पर कब्जा करने की नीयत से अपने सैनिकों की घुसपैठ कराता रहता है। एलएसी के इलाकों में चीन के बुनियादी ढांचा विकसित करने के सवाल पर थलसेना प्रमुख ने कहा कि यह लगातार हो रहा है। जो कि चिंताजनक है। मगर भारतीय सेना चीन की सभी गतिविधयों पर नजर रखे है और हर परिस्थिति में उसका सामना करने और अपने सीमा क्षेत्रों की रक्षा करने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि सीमाक्षेत्रों में अपनी कार्ययोजना को बहुत सावधानी पूर्वक समायोजित करने की जरूरत है।