Highlights
- बनी साल 1979 वाली स्थिति
- पुलिस हिरासत में एक कुर्द महिला माहसा अमीनी की हुई थी मौत
- न्यूयॉर्क में हो रहा अमिनी की हत्या का विरोध
Iran Hijab: ईरान में विरोध प्रदर्शन और उग्र होता जा रहा है। सुरक्षाबलों के बल प्रयोग से अब तक 3 प्रदर्शनकारियों की मौत हो चुकी है और करीब 220 लोग जख्मी हो गए हैं। उर्मिया, पिरानशहर और करमानशाह में सुरक्षा बलों द्वारा मारे गए तीन प्रदर्शनकारियों में एक महिला भी शामिल है। यह प्रदर्शन महसा अमिनी की पुलिस कस्टडी में मौत के बाद से हो रहा है। खबरों के मुताबिक सरकार के खिलाफ विरोध बढ़ता देख ईरान में इंटरनेट बैन कर दिया गया है। साथ ही इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप को बैन कर दिया गया है।
बता दें कि UN समेत कई देशों ने ईरान के सुरक्षाबलों द्वारा प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग करने की निंदा की है। न्यूयॉर्क के ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो और फोटो से पता चलता है कि पुलिस प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल कर रहे हैं और कुर्दिस्तान प्रांत में घातक बल का इस्तेमाल हुआ है।
न्यूयॉर्क में हो रहा अमिनी की हत्या का विरोध
ईरान में महसा अमिनी की हत्या के विरोध में न्यूयॉर्क सिटी में भी प्रदर्शन हो रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र भवन के सामने सैकड़ों की संख्या में ईरान के लोगों ने प्रदर्शन किया. ईरानी राष्ट्रपति रायसी ने बुधवार को यह जानकारी दी। मसीह अलीनेजाद (पत्रकार और कार्यकर्ता) ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से महसा अमिनी के नाम पर हो रहे विरोध में ईरान के लोगों के साथ खड़े होने का आग्रह किया. उन्होंने ट्वीट किया कि ईरान के लोग इतने हताश हैं कि उनका गुस्सा सड़कों पर फूट रहा है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को उनके समर्थन की जरूरत है।
बनी साल 1979 वाली स्थिति
गौरतलब है कि ईरान में एक बार फिर वही स्थिति देखने को मिल रही है, जो इससे पहले साल 1979 में देखने को मिली थी। जिसे इस्लामिक क्रांति के नाम से जाना जाता है। इस क्रांति ने सबकुछ बदलकर रख दिया था। इस समय ईरान में हिजाब का भारी विरोध हो रहा है। राजधानी तेहरान समेत कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। महिलाएं हिजाब में आग लगा रही हैं और विरोध दर्ज कराने के लिए अपने बाल तक काट रही हैं। इन प्रदर्शनों में पुरुष भी बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। सोशल मीडिया पर इन प्रदर्शनों के कई वीडियो वायरल हो रहे हैं। जिनमें लोग देश के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्लाह अली खामनेई के खिलाफ नारे लगा रहे हैं। देश में लोकतांत्रित व्यवस्था होने के बावजूद सभी फैसले खामनेई ही लेते हैं।
विरोध प्रदर्शन की शुरुआत
ईरान में इन विरोध प्रदर्शनों की शुरुआत तब हुई, जब एक 22 साल की कुर्द महिला माहसा अमीनी की मौत हो गई। माहसा को ईरान की मोरल (नैतिक) पुलिस ने ढंग से हिजाब नहीं पहनने के चलते हिरासत में लिया था। पुलिस पर आरोप हैं कि उसने माहसा को प्राताड़ित किया, जिसके बाद उनकी अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। माहसा का परिवार कह रहा है कि उनकी बेटी को हिरासत के दौरान खूब पीटा गया। जबकि प्रशासन का कहना है कि माहसा की मौत का कारण हार्ट अटैक था। प्रदर्शनों की शुरुआत देश के पश्चिमी हिस्से से हुई। ये वो इलाका है, जिसे कुर्दिस्तान भी कहा जाता है। यहां के लोग कई साल से अलग देश की मांग पर अड़े हुए हैं। माहसा यहीं के साकेज शहर की रहने वाली थीं। यहां महिलाओं ने हाथ में हिजाब लेकर विरोध प्रदर्शन किया और सरकार विरोधी नारे लगाए।
ईरान का हिजाब कानून क्या है?
इस्लामी क्रांति (1978-79) के बाद ईरान ने 1981 में एक अनिवार्य हिजाब कानून पारित किया था। इस्लामी दंड संहिता के अनुच्छेद 638 में कहा गया है कि महिलाओं का सार्वजनिक रूप से या सड़कों पर हिजाब के बिना दिखाई देना अपराध है। द गार्जियन ने इस महीने की शुरुआत में बताया था कि ईरानी अधिकारी उन महिलाओं की पहचान करने के लिए सार्वजनिक परिवहन में फेशियल रिकग्निशन टेक्नोलॉजी का उपयोग करने की योजना बना रहे हैं, जो हिजाब नियमों का ठीक से पालन नहीं कर रही हैं।
इसी साल जुलाई में नेशनल हिजाब और चैसटिटी डे (राष्ट्रीय हिजाब और शुद्धता दिवस) पर ईरान में व्यापक विरोध देखा गया, जहां महिलाओं ने सार्वजनिक रूप से अपने हिजाब को हटाने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया था। कई लोगों ने सार्वजनिक परिवहन में हिजाब नहीं पहनने की तस्वीरें और वीडियो भी पोस्ट किए थे।