बेरूत: ईरान के विदेश मंत्री ने शुक्रवार को कहा कि क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वियों ईरान और सऊदी अरब के बीच बातचीत जारी है। उन्होंने कहा कि बातचीत के जरिए वे राजनयिक संबंध एक बार फिर बहाल हो सकते हैं जो कई साल पहले टूट गए थे। ईरान के विदेश मंत्री हुसैन आमिर-अब्दोल्लाहियान ने शुक्रवार को बेरूत में कहा कि उन्होंने पिछले महीने जॉर्डन में एक सम्मेलन के दौरान सऊदी विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान अल सऊद से मुलाकात की थी जिसमें पश्चिमी एशिया और यूरोपीय अधिकारियों ने भाग लिया था।
सऊदी में सुन्नी, तो ईरान में शिया ज्यादा
आमिर-अब्दोल्लाहियान और प्रिंस फैसल के बीच की मुलाकात 7 साल पहले अलगाव के बाद से दोनों देशों के बीच होने वाली एक उच्चतम स्तर बैठक थी। बता दें कि एक तरफ सऊदी अरब में जहां सुन्नी मुसलमान बहुसंख्यक हैं वहीं दूसरी तरफ ईरान में शिया मुसलमानों की संख्या ज्यादा है। दोनों देशों के राजनयिक संबंधों में 1979 में ईरान में हुई इस्लामिक क्रांति के बाद से खटास पैदा हो गई थी। वर्ष 2016 में शिया धर्मगुरु निमर अल-निमर को सऊदी अरब द्वारा फांसी दिए जाने के बाद संबंधों में बेहद खटास आ गई।
अप्रैल 2021 में शुरू हुई थी सीधी बातचीत
शिया धर्मगुरु निमर अल-निमर की फांसी को लेकर दोनों देशों में जमकर विरोध प्रदर्शन हुए थे। तेहरान में प्रदर्शनकारियों ने सऊदी अरब के दूतावास में आग लगा दी थी, जिसके बाद राजनयिक संबंधों में कड़वाहट आ गई। इराक की मध्यस्थता से संबंधों को सुधारने के लिए दोनों देशों के बीच अप्रैल 2021 में सीधी बातचीत शुरू की गई। इस बातचीत को दोनों देशों के संबंधों के नजरिए से खास माना गया था, भले ही अब तक इसकी एकमात्र उपलब्धि सिर्फ सऊदी शहर जेद्दाह में OIC के लिए ईरान के प्रतिनिधि कार्यालय को फिर से खोलना रहा हो।
‘उम्मीद है हम एक समझौते पर पहुंचेंगे’
दिसंबर में जॉर्डन में सऊदी विदेश मंत्री के साथ अपनी बैठक के बारे में आमिर-अब्दोल्लाहियान ने कहा, ‘हम ईरान और सऊदी अरब के बीच सामान्य संबंधों की बहाली का स्वागत करते हैं। आशा है कि आखिरकार हम रियाद और तेहरान में राजनयिक मिशनों और दूतावासों को फिर से खोलने के समझौते पर पहुंचेंगे।’ अमीरबदोल्लाहियान ने भी सीरियाई और तुर्की अधिकारियों के बीच वार्ता की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस तरह की वार्ता का उन दोनों देशों के हितों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
क्या हैं ईरानी विदेश मंत्री के बयान के मायने
बातचीत के जरिए अगर सऊदी अरब और ईरान के संबंध बेहतर होते हैं तो यह क्षेत्रीय शांति के लिए बेहतर होगा, हालांकि निकट भविष्य में इसकी संभावना कम ही है। दोनों ही देश इलाके में प्रभुत्व स्थापित करने के लिए होड़ में लगे हुए हैं और इसका असर यमन, ईराक और अन्य देशों में देखने को मिलता रहा है। वहीं, दोनों देशों के बीच बेहतर हो रहे संबंध कहीं न कहीं अमेरिका की आंखों में भी चुभेंगे जो कि सऊदी से सामान्य रिश्ते रखता है जबकि ईऱान के साथ उसके रिश्ते खटास से भरे हैं।