राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत के बाद भी नहीं रुका ईरान, अंतरिक्ष में भेजा अपना ये उपग्रह
राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत के बाद भी नहीं रुका ईरान, अंतरिक्ष में भेजा अपना ये उपग्रह
अमेरिका ने ईरान से परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम बैलिस्टिक मिसाइलों से जुड़ी कोई गतिविधि न करने का आह्वान किया गया था। ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम से संबंधित संयुक्त राष्ट्र की पाबंदियां पिछले साल अक्टूबर में खत्म हो गई थीं।
तेहरानः ईरान अपने पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत के बाद भी नहीं रुका है। एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए ईरान ने देश के अर्धसैनिक बल रिवॉल्यूशनरी गार्ड द्वारा बनाए गए एक रॉकेट से शनिवार को एक उपग्रह अंतरिक्ष में भेजा। सरकारी मीडिया ने यह जानकारी दी। ईरान ने इस प्रक्षेपण को सफल बताया जो उपग्रह को कक्षा में स्थापित करने वाला दूसरा प्रक्षेपण होगा। हालांकि प्रक्षेपण के सफल होने के बारे में स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं हुई है और न ही ईरान के अधिकारियों ने इस संबंध में कोई फुटेज या अन्य विवरण उपलब्ध कराया है।
पश्चिमी देशों को आशंका है कि इससे ईरान को अपने बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम पर आगे बढ़ने में मदद मिल सकती है। गाजा में इजराइल-हमास युद्ध को लेकर पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव के बीच ईरान ने यह प्रक्षेपण किया है। युद्ध के दौरान ईरान ने इजराइल पर अभूतपूर्व तरीके से सीधे तौर पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए। इस बीच, ईरान का यूरेनियम संवर्धन हथियार बनाने के लिए जरूरी संवर्धन स्तर के करीब पहुंचने को है। तेहरान के इस कार्यक्रम को लेकर निरस्त्रीकरण विशेषज्ञों ने चिंता जताई है।
100 रॉकेट का हुआ इस्तेमाल
ईरान ने कहा है कि उपग्रह के प्रक्षेपण के लिए ‘कायम-100’ रॉकेट का इस्तेमाल किया गया और रिवॉल्यूशनरी गार्ड ने जनवरी में एक अन्य सफल प्रक्षेपण के दौरान इसका इस्तेमाल किया था। सरकारी मीडिया ने खबर दी कि चमरान-1 नामक इस उपग्रह का वजन 60 किलोग्राम है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय और अमेरिका की सेना से ईरान के प्रक्षेपण के बारे में प्रतिक्रिया मांगी गई, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। इससे पहले अमेरिका ने कहा था कि ईरान का उपग्रह प्रक्षेपण संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव का उल्लंघन है। (भाष)
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