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बांग्लादेश में लोगों के लिए 'देवदूत' बने भारतीय डॉक्टर्स, 17 से 18 घंटे कर रहे हैं काम

बांग्लादेश में भारतीय डॉक्टर्स हिंसा से प्रभावित हुए लोगों का इलाज कर रहे हैं जबकि अभिभावक उनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। बांग्लादेश में मौजूद कई भारतीय डॉक्टरों ने कहा संसाधनों की कमी है और डॉक्टरों पर अत्यधिक बोझ है।

Edited By: Amit Mishra @AmitMishra64927
Published on: August 07, 2024 10:16 IST
Bangladesh Hospital - India TV Hindi
Image Source : AP Bangladesh Hospital

नई दिल्ली: बांग्लादेश में रह रहे कई भारतीय चिकित्सकों ने हिंसा प्रभावित ढाका में ही रहकर लोगों की जान बचाने का अपना कर्तव्य निभाने का फैसला किया है, जबकि उनके अभिभावक उनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। बांग्लादेश में मौजूद कई भारतीय चिकित्सकों ने कहा कि ढाका के कई अस्पतालों में हताहतों की संख्या में अचानक हुई वृद्धि के कारण संसाधनों की कमी है और डॉक्टर्स पर अत्यधिक बोझ है। उन्होंने 'पीटीआई-भाषा' से कहा कि वो "कर्तव्य की भावना" से प्रेरित हैं और मौजूदा संकट से निपटने में मदद करने का निर्णय किया है।

संसाधनों की है कमी

पुराने ढाका के एक अस्पताल से जुड़े श्रीनगर के एक चिकित्सक ने फोन पर बताया, "हमारे सामने कई ऐसे मरीज आ रहे हैं जिन्हें छर्रे लगने, गोली लगने और चाकू से वार के घाव हैं। प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच ताजा झड़पों के बाद हताहतों की संख्या में वृद्धि हुई है। संसाधनों की भारी कमी है और हम प्रतिदिन 17 से 18 घंटे काम कर रहे हैं।" 

अस्पतालों को हमारी जरूरत है

सोमवार को शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने और देश छोड़कर चले जाने के कुछ ही घंटे बाद पूरे बांग्लादेश में अराजकता की स्थिति पैदा हो गई, जिसके कारण हुई हिंसा में 100 से अधिक लोग मारे गए हैं। गुजरात के एक अन्य चिकित्सक ने कहा, "हमारे माता-पिता हमारी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं, लेकिन हमने डिग्री पूरी होने के समय लोगों के जीवन की रक्षा करने की शपथ ली थी। उनकी सेवा करना हमारा कर्तव्य है और इस कठिन समय में अस्पतालों को हमारी जरूरत है।" 

Bangladesh Dhaka Hospital

Image Source : AP
Bangladesh Dhaka Hospital

सुधरे हैं हालात

हालांकि, चिकित्सकों ने कहा कि मंगलवार सुबह कर्फ्यू हटा लिया गया और दुकानें, व्यवसाय और अन्य प्रतिष्ठान धीरे-धीरे फिर से खुलने लगे जिससे स्थिति में सुधार हुआ है। जम्मू कश्मीर के एक चिकित्सक और बांग्लादेश में भारतीय मेडिकल छात्रों के संघ के अध्यक्ष ने कहा, "मौजूदा स्थिति में विदेशी नागरिकों को कोई खतरा नहीं है। मैं पूरी तरह सुरक्षित महसूस कर रहा हूं। झड़पें प्रदर्शनकारियों और राजनीतिक संगठनों के बीच हैं। जो लोग मेरे जैसे विरोध प्रदर्शन का हिस्सा नहीं हैं उन्हें कोई सुरक्षा चिंता नहीं है। सोमवार तक कानून-व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं थी। हालांकि, मंगलवार को हालात सुधरे। हम सड़कों पर लोगों और कारोबारियों को अपना काम फिर से शुरू करते हुए देख रहे हैं।" (भाषा)

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