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भारत ने शुरू की ‘ग्लोबल साउथ’ को ऋणमुक्त बनाने की बड़ी पहल, चकराया चीन

भारत ने ग्लोबल साउथ की आवाज बनने के बाद अब उसके हितों की चिंता करनी भी शुरू कर दी है। भारत का लक्ष्य अब ग्लोबल साउथ के देशों को नए ऋण के जाल में फंसने से बचाना है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published on: October 09, 2024 20:08 IST
भारत बना ग्लोबल साउथ की आवाज। - India TV Hindi
Image Source : AP भारत बना ग्लोबल साउथ की आवाज।

संयुक्त राष्ट्र: नई दिल्ली के जी-20 शिखर सम्मेलन में पिछले साल अफ्रीकी संघ को स्थाई सदस्यता दिलाने में सफल होने के बाद भारत का कद काफी बढ़ गया है। ग्लोबल साउथ के देश अब दुनिया में सबसे ज्यादा भरोसा भारत पर ही करते हैं। एक तरह से भारत अब ग्लोबल साउथ की आवाज बन चुका है। लिहाजा भारत ने ‘ग्लोबल साउथ’ के लिए ऋण स्थिरता सुनिश्चित करने और उसे ऋण जाल से बचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संरचना में सुधार की खातिर ठोस वैश्विक प्रयास का आह्वान किया है, जो कई संकटों से प्रभावित है।

भारत के इस आह्वान से सबसे बड़ा झटका चीन को लगा है, क्योंकि चीन एशिया से लेकर अफ्रीकी देशों तक को कर्ज के जाल में फंसाने का सबसे माहिर खिलाड़ी माना जाता है। मगर अब ग्लोबल साउथ के देशों में भारत के प्रति भरोसा बढ़ने से उसके होश उड़ रहे हैं।  संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पी हरीश 'अनिश्चित दुनिया में लचीलापन और विकास को बढ़ावा देने' विषय पर मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने इस ओर ध्यान आकृष्ट किया कि किस प्रकार विकास लाभ पटरी से उतर गए हैं, जिससे सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की दिशा में प्रगति को खतरा है।

ग्लोबल साउथ को कर्ज के जाल में फंसाना लक्ष्य

भारत का लक्ष्य ग्लोबल साउथ को कर्ज के नए जाल में फंसने से बचाना और उन देशों में स्थिरता लाने पर फोकस करना है। पी हरीश ने कहा, ‘‘ऋण स्थिरता सुनिश्चित करने और ऋण जाल को रोकने, किफायती वित्त तक पहुंच मुहैया कराने और वैश्विक व्यापार एवं निवेश प्रवाह में असमानताओं को दूर करने के लिए अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संरचना में सुधार की खातिर ठोस वैश्विक प्रयास की आवश्यकता है।" हरीश ने सबसे संवदेनशील लोगों के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि किसी को भी पीछे नहीं छोड़ा जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, "महिलाओं एवं युवाओं को सशक्त बनाना लचीले समाज के निर्माण की कुंजी है।" उन्होंने डिजिटल प्रौद्योगिकी के लाभ सहित भारत की विभिन्न उपलब्धियों को रेखांकित किया और बताया कि किस प्रकार इसे विकासशील दुनिया के लिए दोहराया जा सकता है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भारत द्वारा उठाए गए कदमों को भी सूचीबद्ध किया। (भाषा) 

 

 

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