India-Sri Lanka: आर्थिक हालत खस्ता होने के बाद श्रीलंका कुछ हद तक अब संभलने लगा है। भारत ने श्रीलंका के बुरे वक्त में आर्थिक मदद देकर एक पड़ोसी धर्म को निभाया। श्रीलंका ने हाल ही में भारत को अपना सच्चा साथी कहकर चीन को इशारों ही इशारों में यह बता दिया कि श्रीलंका के लिए भारत सबसे अहम है। दोनों देशों के ऐसे ही रिश्तों के बीच श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे 20 जुलाई को भारत की यात्रा पर आ रहे हैं। दोनों देशों के संबंधों का इतिहास भी आजादी के वक्त का है। दोनों देशों के राजनयिक रिश्तों के 75 साल पूरे हो रहे हैं। इस रिश्तों के इतिहास को अब सुदृढ़ भविष्य में और आगे ले जाने के लिए रानिल विक्रमसिंघे दो दिन की यात्रा पर भारत आ रहे हैं। इस बात की घोषणा विदेश मंत्रालय ने की।
मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि राष्ट्रपति विक्रमसिंघे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निमंत्रण पर 20 से 21 जुलाई तक भारत की आधिकारिक यात्रा करेंगे। यह यात्रा तब हो रही है जब दोनों देश इस वर्ष राजनयिक संबंधों की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। मंत्रालय ने बताया कि यात्रा के दौरान, राष्ट्रपति विक्रमसिंघे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात करेंगे और आपसी हित के कई मुद्दों पर प्रधानमंत्री मोदी और अन्य भारतीय गणमान्य व्यक्तियों के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे।
विक्रमसिंघे ने हमेशा अच्छे संबंधों पर दिया जोर
मंत्रालय ने कहा, ‘यह यात्रा दोनों देशों के बीच लंबे समय से जारी द्विपक्षीय संबंधों को और आगे बढ़ाएगी और मजबूत करेगी।’ विक्रमसिंघे ने भारत के साथ अच्छे संबंधों पर जोर दिया है और इसे अपनी विदेश नीति का प्रमुख मुद्दा बनाया है। नई दिल्ली में जारी एक बयान में विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत की ‘पहले पड़ोसी’ और ‘सागर दृष्टिकोण’ में श्रीलंका एक महत्वपूर्ण साझेदार है। बयान में कहा गया है, ‘यह यात्रा दोनों देशों की दीर्घकालिक मित्रता की पुष्टि करेगी और सम्पर्क बढ़ाने और विभिन्न क्षेत्रों में आपसी लाभ आधारित सहयोग को विस्तार देने के रास्ते तलाशने का अवसर प्रदान करेगी।’
सुधर रही श्रीलंका की अर्थव्यवस्था
विक्रमसिंघे की यह यात्रा ऐसे समय में हो होगी, जब श्रीलंका की कमजोर अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत दिख रहे हैं। श्रीलंका ने पिछले साल अप्रैल के मध्य में पहली बार कर्ज अदा न कर पाने की घोषणा की थी। इस साल मार्च में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने उसे 2.9 अरब अमेरिकी डॉलर का राहत पैकेज दिया था।