Sunday, December 22, 2024
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हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामकता रोकने को भारत निभाए मार्गदर्शक की भूमिका, जर्मनी ने दिया सुझाव

Indo-Pacific region:हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामता और दादागिरी से वह सभी देश परेशान हैं, खासकर जिनकी सीमा चीन से लगती है। चीन दक्षिण चीन सागर से लेकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र तक में आक्रामक रवैया अपनाए हुए है। वह अधिकांश क्षेत्रों पर अपना दावा करता है। इसलिए चीन की आक्रामकता को रोकना अब बहुत जरूरी हो गया है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Oct 30, 2022 16:44 IST, Updated : Oct 30, 2022 16:44 IST
हिंद-प्रशांत क्षेत्र (प्रतीकात्मक फोटो)
Image Source : PTI हिंद-प्रशांत क्षेत्र (प्रतीकात्मक फोटो)

Indo-Pacific region:हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामता और दादागिरी से वह सभी देश परेशान हैं, खासकर जिनकी सीमा चीन से लगती है। चीन दक्षिण चीन सागर से लेकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र तक में आक्रामक रवैया अपनाए हुए है। वह अधिकांश क्षेत्रों पर अपना दावा करता है। इसलिए चीन की आक्रामकता को रोकना अब बहुत जरूरी हो गया है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत को अब मार्ग दर्शक की भूमिका निभानी होगी। यह बातें जर्मनी ने सुझाव के तौर पर कही हैं। जर्मनी का मानना है कि चीन के आक्रामक रवैये को भारत रोक सकता है।

उन्होंने यह भी कहा कि भारत और अन्य देश एक ‘बड़े और शक्तिशाली देश’ का भार महसूस कर रहे हैं और इन्हें साथ बैठकर विचार करना चाहिए कि स्थिति से कैसे निपटा जाए।’’ भारत में जर्मनी के राजदूत फिलिप एकरमैन ने हिंद-प्रशांत समेत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता के संदर्भ में यह बात कही। जर्मनी के राजदूत ने यह भी कहा कि भारत को एक स्वतंत्र, मुक्त और नियम-आधारित हिंद-प्रशांत सुनिश्चित करने के समग्र वैश्विक प्रयासों में एक ‘‘मार्गदर्शक‘‘ की भूमिका निभानी चाहिए। एकरमैन ने कहा, ‘‘भारत का एक अनसुलझा सीमा विवाद है। यह कुछ ऐसा है, जिसका भार भारत महसूस कर रहा है और स्पष्ट तौर पर इस कठिन अध्याय से निपटना आसान नहीं है। मुझे लगता है कि पूरा क्षेत्र इस बड़े और शक्तिशाली राष्ट्र के भार को महसूस कर रहा है।

2020 में गलवान की झड़प के बाद भारत-चीन के बीच हुआ तनाव

वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) सहित क्षेत्र में चीन के आक्रामक रवैये के बारे में पूछे जाने पर राजदूत ने कहा कि क्षेत्र के सभी देशों को एक साथ बैठना चाहिए और यह पता लगाने की कोशिश करनी चाहिए कि ‘‘एक शक्तिशाली पड़ोसी को रोकने के लिए प्रत्येक (देश) क्या कर सकता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे स्वीकार करना होगा कि यहां होने के नाते मैं (यह सब) देख पा रहा हूं। आप इस तनाव को महसूस करते हैं। यह कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे नजरअंदाज करना चाहिए।’’ जून 2020 में गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद भारत और चीन के संबंधों में तनाव आया है। एक समावेशी हिंद-प्रशांत के लिए भारत के दृष्टिकोण के बारे में पूछे जाने पर राजदूत ने चार देशों के गठबंधन ‘क्वाड’ और ऐसे अन्य मंचों में नयी दिल्ली की भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि देश (भारत) कई मायने में दूसरों का मार्गदर्शन कर सकता है।

अमेरिका ने भी हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की मदद का आश्वासन दिया है
मौजूदा जरूरतों के अनुसार हिंद-प्रशांत क्षेत्र में विस्तार भारत की जरूरत बन गया है। इसलिए अमेरिका भी अब भारत के साथ खड़ा है। वह भारत के साथ हिंद-प्रशांत क्षेत्र में संयुक्त सैन्य साझेदारी के लिए भी तैयार है। जो बाइडन ने कहा है कि भारत को आर्थिक और सामरिक सुरक्षा की दृष्टि से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में विस्तार का पूरा हक है और अमेरिका इस मामले में भारत के साथ है। वह भारत की पूरी मदद करेगा। गौरतलब है कि चीन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत के विस्तार से चिंतित है। इसलिए वह लगातार आक्रामक रुख अपना रहा है। दक्षिण चीन सागर पर भी चीन पूरा दावा करता है। इसलिए अमेरिका से लेकर जर्मनी तक भारत को अपनी समुद्री सीमा का विस्तार करने की सलाह दे रहे हैं।  क्योंकि सभी को भरोसा है कि भारत का प्रभाव हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ेगा तो अन्य देशों के लिए फायदेमंद होगा। क्योंकि भारत ईमानदार और प्रभावशाली राष्ट्र है। इसके साथ अन्य देशों को व्यापार और सुरक्षा साझेदारी करने में आसानी होगी। चीन के साथ कम से कम 12 से 13 देशों का विवाद है।

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