भारत और चीन सीमा से लगे गलवान घाटी और तवांग में सैनिकों के बीच हिंसक झड़प के बाद अब ड्रैगन ने डेमचोक व देपसांग क्षेत्र में अपनी गतिविधियों को तेज कर दिया है। चीन की आपत्तिजनक गतिविधियों पर भारतीय सेना की पैनी नजर है। आपको बता दें कि डेमचोक और देपसांग भारत-चीन सीमा विवाद के नए पिन प्वाइंट बन गए हैं। इस बीच चीन के रक्षामंत्री के प्रस्तावित भारत दौरे से पहले दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय वें दौर की 18 सैन्य वार्ता भी संपन्न हो गई है। मगर अभी विवाद कायम है।
पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद के चौथे साल में प्रवेश करने के बीच भारत और चीन ने रविवार को इस क्षेत्र के शेष मुद्दों को हल करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए यह नयी उच्च-स्तरीय सैन्य वार्ता आयोजित की थी। इस सैन्य वार्ता का 18वां दौर चीन के रक्षा मंत्री ली शांगफू की अगले सप्ताह होने वाली भारत यात्रा के मद्देनजर हुआ है। शांगफू शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की एक महत्वपूर्ण बैठक में भाग लेने यहां आएंगे, जिसकी मेजबानी भारत की अध्यक्षता में की जा रही है। रविवार की सैन्य वार्ता दोनों पक्षों के वरिष्ठ सेना कमांडर के बीच अंतिम दौर की बातचीत के करीब चार महीने बाद हुई है।
भारत ने डेमचोक और देपसांग पर किया फोकस
घटनाक्रम से परिचित लोगों ने बताया कि यह बैठक पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीनी क्षेत्र की ओर स्थित चुशुल-मोल्डो सीमा मुलाकात केंद्र पर हुई। यह पता चला है कि भारतीय पक्ष ने पूर्वी लद्दाख में डेमचोक और देपसांग के शेष विवादित स्थलों से संबंधित मुद्दों को जल्द से जल्द हल करने पर जोर दिया। वार्ता के दौरान भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राशिम बाली ने किया। यही सैन्य कोर लद्दाख क्षेत्र में एलएसी पर सीमा सुरक्षा व्यवस्था संभालती है। कोर कमांडर स्तर की वार्ता पूर्वी लद्दाख विवाद को हल करने के लिए स्थापित की गई थी।
सीमावर्ती क्षेत्रों में चीन के शांति नहीं लाने तक संबंधों में कायम रहेगा तनाव
भारत का कहना है कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति नहीं होगी, तब तक चीन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते। पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद पांच मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध शुरू हुआ था। जून 2020 में गलवान घाटी में भयंकर संघर्ष के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में काफी गिरावट आई थी। सैन्य और कूटनीतिक वार्ता की एक शृंखला के परिणामस्वरूप, दोनों पक्षों ने पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण किनारे और गोगरा क्षेत्र से अपने-अपने सैनिक पीछे हटाये थे।