नई दिल्लीः भारतीय विदेश मंत्रालय ने पीएम मोदी के रूस दौरे को लेकर अमेरिका की टिप्पणी का करारा जवाब दिया है। इसके साथ ही कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को मिली धमकी के मामले में भी उन्हें आईना दिखाने वाली प्रतिक्रिया दी है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने अमेरिकी विदेश मंत्रालय के अधिकारी डोनाल्ड लू की टिप्पणियों पर भारत का मजबूती से पक्ष रखा है। उन्होंने अमेरिका की ओर से पीएम मोदी के रूस दौरे की टाइमिंग और पुतिन को गले लगाने के मामले में अमेरिका की टिप्पणी पर कहा कि भारत का रूस के साथ दीर्घकालिक संबंध है जो हितों की पारस्परिकता पर आधारित है। उन्होंने कहा कि बहुध्रुवीय विश्व में सभी देशों को इसके चयन की स्वतंत्रता है। ऐसी वास्तविकताओं के प्रति सचेत रहना और उनकी सराहना करना हर किसी के लिए आवश्यक है।
वहीं कनाडा के पीएम ट्रूडो को धमकी मामले में 2 लोगों की गिरफ्तारी के मामले पर रणधीर जायसवाल ने कहा कि कनाडा ने सोशल मीडिया पर पीएम ट्रूडो और अन्य नेताओं को जान से मारने की धमकी देने के लिए दो व्यक्तियों पर आरोप लगाया है। हमने ये रिपोर्ट देखी हैं। मगर जब कोई लोकतंत्र कानून के शासन और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को मापने या लागू करने के लिए अलग-अलग पैमाने अपनाता है, तो यह केवल उसके अपने दोहरे मानदंड को उजागर करता है। हम उम्मीद करते हैं कि कनाडा उन भारत विरोधी तत्वों के खिलाफ भी कार्रवाई करेगा, जिन्होंने बार-बार हिंसा के जरिए भारतीय नेताओं, संस्थानों, एयरलाइंस और राजनयिकों को धमकी दी है। हम हमारे ख़िलाफ़ मिली धमकियों पर भी समान स्तर की कड़ी कार्रवाई देखना चाहेंगे।
बांग्लादेश के हालात पर
बांग्लादेश के हालात पर रणधीर जायसवाल ने कहा कि हम पड़ोसी देश की स्थिति से अवगत हैं और वहां के घटनाक्रम पर करीब से नजर रख रहे हैं। भारत वहां जारी हालात को बांग्लादेश का आंतरिक मामला मानता है। बांग्लादेश सरकार के समर्थन और सहयोग से हम अपने छात्रों की सुरक्षित वापसी की व्यवस्था करने में सक्षम थे। एक करीबी पड़ोसी होने के नाते हमारे बहुत मधुर और मैत्रीपूर्ण संबंध हैं। हमें उम्मीद है कि देश में स्थिति जल्द ही सामान्य हो जाएगी।
कनाडा में मंदिर में तोड़फोड़ पर भारत का जवाब
विदेश मंत्रालय ने कहा कि हमने इस मामले को दिल्ली और ओटावा दोनों में कनाडाई अधिकारियों के समक्ष दृढ़ता से उठाया है। हम तोड़फोड़ की निंदा करते हैं और उम्मीद करते हैं कि स्थानीय अधिकारी जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी एवं त्वरित कार्रवाई करेंगे। मंदिरों के विरुद्ध ये हमले बार-बार होने वाली घटना बन गए हैं और एक ऐसे उद्देश्य से किए जाते हैं जिसे समझना मुश्किल नहीं है। हमने कनाडा में हाल के दिनों में ऐसी कई घटनाएं देखी हैं। अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की कमी ने ऐसे आपराधिक तत्वों को और अधिक प्रोत्साहित किया है।
उग्रवाद और हिंसा की वकालत करने वालों और इसके लिए जिम्मेदार लोगों को न्याय के कटघरे में लाने की जरूरत है अन्यथा कनाडा में कानून का शासन और बहुलवाद के प्रति सम्मान को गंभीर रूप से कमजोर किया जाता रहेगा। हमें उम्मीद है कि कनाडा सरकार कार्रवाई करेगी।