Friday, November 22, 2024
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नरेंद्र मोदी के लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने से दुनिया में और बढ़ेगी भारत की धाक, नए मुकाम पर पहुंचेगी विदेश नीति

नरेंद्र मोदी के तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने से दुनिया में भारत का दबदबा और अधिक बढ़ने वाला है। भारत अब अमेरिका, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, जापान जैसे देशों के साथ अपने रिश्तों को और मजबूत करेगा। साथ ही ग्लोबल साउथ की आवाज को और धार देगा।

Written By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published on: June 10, 2024 0:01 IST
नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री। - India TV Hindi
Image Source : PTI नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री।

नई दिल्लीः नरेंद्र मोदी के लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने से दुनिया में भारत की धाक और बढ़ेगी। इसके साथ ही विदेश नीति भी अपने नए मुकाम पर पहुंचेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिछले 10 वर्षों के कार्यकाल में भारत ने विश्व के मानस पटल पर अपनी नई छवि अंकित की है। अपने दो बीते कार्यकाल के दौरान विभिन्न अंतरराष्ट्रीय सर्वे एजेंसियों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनिया के सबसे पॉपुलर लीडर रहे हैं। दुनिया में उन्हें अब वर्ल्ड लीडर के तौर पर देखा जाने लगा है। ऐसे में रिकॉर्ड तीसरी बार उनके प्रधानमंत्री बनने से भारत का दबदबा दुनिया में और बढ़ेगा। 

पीएम मोदी वर्ष 1962 में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के बाद लगातार तीसरी बार इस पद की शपथ लेने वाले दूसरे नेता हो गए हैं। पीएम मोदी के पिछले कार्यकाल में फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे दुनिया के ताकतवर देश भारत के स्ट्रैटेजिक पार्टनर बने। इससे पाकिस्तान और चीन जैसे दुश्मनों को झटका लगना तय था। वहीं ताकतवर देशों के साथ भारत की स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप ने दुनिया में उसे नए उभरते लीडर के तौर पर पेश किया। 

विदेश नीति का भारत ने मनवाया लोहा

मोदी के नेतृत्व में भारत ने पूरी दुनिया के सामने अपनी विदेश नीति का लोहा मनवाया। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद जब अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाया तो भी भारत ने अपने परंपरागत और गहरे दोस्त से कच्चा तेल खरीदना जारी रखा। अमेरिका और पश्चिम की आपत्ति पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ऐसा जवाब दिया कि उन देशों की बोलती बंद हो गई। वहीं दूसरी तरफ पीएम मोदी ने रूस के राष्ट्रपति के सामने यह कहने का साहस दिखाया कि "यह युग युद्ध का नहीं है"। पीएम मोदी ने रूस और यूक्रेन को बातचीत के जरिये विवादों का समाधान खोजने के लिए प्रेरित किया। वहीं दूसरी तरफ यूक्रेन के युद्ध पीड़ितों को मानवीय मदद भेजकर राष्ट्रपति जेलेंस्की का भी दिल जीता। 

वहीं इजरायल-हमास युद्ध के दौरान पीएम नेतन्याहू के पक्ष में बोलने वाला भारत पहला देश बना। पीएम मोदी ने सबसे पहले इजरायल पर हमास के हमले को आतंकवादी बताते हुए इसकी निंदा की और बेंजामिन नेतन्याहू के साथ खड़े होने की प्रतिबद्धता जाहिर की। इससे दुनिया के तमाम रणनीतिकार हैरान रह गए। इस दौरान फिलिस्तीन से भी भारत ने अपने पुराने संबंध को बनाए रखा। 

अमेरिका के विरोध के बावजूद किया चाबहार समझौता

भारत ने हाल ही में अमेरिकी प्रतिबंधों और विरोध के बावजूद ईरान के साथ चाबहार पोर्ट का सबसे बड़ा और ऐतिहासिक समझौता किया। इसके साथ ही भारत ने यूरोप और पश्चिम में जाने का अपना नया रास्ता खोज लिया। भारत ने मोदी के दोनों ही कार्यकाल के दौरान किसी भी देश के सामने न झुकने वाले देश के तौर पर खुद को प्रतिष्ठापित किया। वहीं पाकिस्तान में सर्जिकल सर्जिकल स्ट्राइक करके और गलवान में चीन को मुंहतोड़ जवाब देकर दुनिया के सामने ताकतवर और 21वीं सदी के भारत की मजबूत छवि पेश की। 

तीसरे कार्यकाल में विश्व में प्रणेता के तौर पर उभरेगा भारत

दुनिया इस दौरान तमाम वैश्विक संकटों से जूझ रही है। इनमें युद्ध से लेकर महामारी, खाद्य और ऊर्जा संकट, ग्लोबल वार्मिंग जैसी बड़ी समस्याएं हैं। ऐसे में पूरी दुनिया इन वैश्विक संकटों के समाधान के लिए भारत की ओर देख रही है। भारत ने अभी तक अपनी छवि वैश्विक समाधानकर्ता, निराशा में आशा पैदा करने वाले देश के तौर पर बनाई है। साथ ही महामारी और प्राकृतिक आपदाओं में दुनिया के पीड़ित देशों के लिए भारत सबसे बड़ा मददगार साबित हुआ है। ऐसे में तीसरी बार नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर दुनिया को भारत से उम्मीदें और बढ़ेंगी। 

यूएनएससी में दावा होगा और मजबूत

भारत में स्थिर सरकार होने से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत का स्थाई सदस्यता के लिए दावा और मजबूत होगा। तीसरी बार पीएम बनने के बाद पीएम मोदी भारत की आवाज को यूएनएससी में और मुखर कर पाएंगे। पिछले दोनों कार्यकाल के दौरान यूएनएससी पर भारत ने स्थाई सदस्यता के लिए अपना दावा बेहद मजबूत किया है। साथ ही सुरक्षा परिषद पर सुधार के लिए दबाव भी डाला है। ताकि भारत जैसे अन्य ताकतवर देशों को यूएनएससी की स्थाई सदस्यता मिल सके। 

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