India-Pakistan War 1965: भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 की पहली बड़ी जंग में पाकिस्तान के मंसूबे तो बड़े खतरनाक थे, लेकिन भारत के आगे उसकी एक न चली। 1965 में आज ही के दिन कच्छ से भारत और पाकिस्तान का युद्घ शुरू हुआ था। दरअसल, भारत और पाकिस्तान की बुनियाद ही दुश्मनी से शुरू हुई थी। 1947 में दोनों देशों की आजादी के बाद से ही पाकिस्तान के इरादे भारत के प्रति नफरत से भरे थे। यही कारण है कि भारत और पाकिस्तान के बीच 65 की जंग की आधारशिला शायद 1947 में आजादी के समय ही तैयार हो गई थी। उस समय कई मुद्दों के बीच ही कश्मीर भी दोनों देशों के बीच बड़ा मुद्दा था, जो इस युद्ध के विवाद की वजह था।
हालांकि कश्मीर विवाद से अलग गुजरात में मौजूद कच्छ के रण की सीमा भी उस समय विवादित थी। यही कारण है कि आज ही के दिन कच्छ से 1965 की भारत पाक जंग की शुरुआत हुई थी। यह युद्ध 23 सितंबर 1965 तक चला था जिसमें पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी थी। उसकी शिकस्त हुई थी।
कच्छ पर थी पाकिस्तान की बुरी नजर
कच्छ की सीमा पर पाक ने जनवरी 65 से गश्त शुरू की थी। इसके बाद यहां पर एक के बाद एक दोनों देशों के बीच आठ अप्रैल से पोस्ट्स को विवाद शुरू हो गया। उस समय के ब्रिटिश पीएम हैरॉल्ड विल्सन ने दोनों देशों के बीच इस विवाद को सुलझाने में बड़ी भूमिका अदा की थी। एक ट्रिब्यूनल का गठन भी किया गया था। विवाद सन 68 में जाकर सुलझा लेकिन उससे पहले ही दोनों देशों के बीच जंग हो गई।
ओवर कॉन्फिडेंस में थे पाकिस्तान के सेना प्रमुख अयूब खान
पाकिस्तान के सेेना प्रमुख जनरल अयूब खान इस ओवर कॉन्फिडेंस में थे कि वे जंग जीत जाएंगे और पाकिस्तान को भी यह लग रहा था कि वे भारत से कुछ भी हासिल कर सकते हैं। कच्छ के साथ पाक ने कश्मीर को अपने कब्जे में लेने के उसने रणनीति तैयार करनी शुरू कर दी। पांच अगस्त 1965 को भारत के 26 हजार और पाकिस्तान 33 हजार सैनिकों ने लाइन ऑफ कंट्रोल को पार की थी। 15 अगस्त को भारतीय सैनिकों ने उस समय तय की हुई सीजफायर लाइन को पार कर डाला।
पाकिस्तान का मंसूबा था जम्मू कश्मीर पर कब्जा
वर्ष 1964 में चीन के साथ भारत की जंग और भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद पाकिस्तान को यह लगने लगा था कि यही सही मौका है भारत पर आक्रमण करके जम्मू कश्मीर पर कब्जे का। लेकिन वह भारत की ताकत का अंदाज नहीं लगा पाया था। हालांकि पाकिस्तान ने कश्मीर के उरी और पुंछ जैसे इलाकों पर अपना कब्जा कर लिया था तो वहीं भारत ने पीआके से करीब आठ किलोमीटर दूरी पर स्थित हाजी पीर पास को अपने कब्जे में कर लिया था। इसके बाद पाकिस्तान ने एक सितंबर 1965 को ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम के नाम से एक खास मिशन शुरू किया। इसका मकसद जम्मू के अखनूर सेक्टर को अपने कब्जे में लेना था। इस ऑपरेशन में भारतीय सेना को खासा नुकसान पहुंचाया और कई सप्लाई रूट्स को क्षतिग्रस्त कर दिया।
भारत ने पाकिस्तान पर किया पलटवार, जीत ली जंग
भारतीय सेना ने पाकिस्तान की ओर से किए गए हमलों के बाद मुंहतोड़ जवाब दिया और हाजी पीर पास को अपने कब्जे में कर लिया। पाक का ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम बुरी तरह से फेल हो गया था। तब बौखलाए पाक ने कश्मीर के साथ पंजाब को भी निशाना बनाया। पर वहां भी मुंह की खाई। 6 सितंबर को भारत की ओर से इस जंग की आधिकारिक घोषणा की गई। इसके बाद 23 सितंबर 1965 को यह जंग खत्म हुई। भारत ने पाकिस्तान के मंसूबों को चकनाचूर कर दिया था और पाकिस्तान की इस युद्ध में करारी हार हुई।
पाकिस्तान की हार से दुनिया में बढ़ी भारत की धाक
इस युद्ध में पाकिस्तान की हार और भारत की जीत ने विश्व परिदृश्य में भारत के कद को और बढ़ा दिया। भारत को इस जंग में जीत के बाद दुनिया और एशिया में एक नई पहचान बनाने में कामयाबी मिली। इस बात की तस्दीक इस बात से भी होती है कि उस समय टाइम मैगजीन ने लिखा कि ‘अब स्पष्ट हो गया है कि भारत अब दुनिया में नई एशियाई ताकत बनकर उभर रहा है।
जंग जीती, पाकिस्तान के गुमान को किया चकनाचूर
हालांकि 1947 में आजादी के बाद से ही भारत ने पंचवर्षीय योजनाएं शुरू कर दीं और भारत विकास के सोपान चढ़ने के लिए प्रयासरत था, लेकिन पाकिस्तान के दुस्साहस और खराब मंसूबे के कारण चीन से बड़े युद्ध के बाद भारत को पाकिस्तान से भी जंग लड़ना पड़ी, लेकिन भारत ने पाकिस्तान से जंग भी जीती और उसके हुक्मरानों और खासकर जनरल अयूब खान के गुरुर को भी चकनाचूर कर दिया।