नई दिल्ली। चीन से लगी सीमा पर ड्रैगन की घेराबंदी करने के लिए भारत ने पिछले 8 वर्षों में इंफ्रास्ट्रक्चर का इतना बड़ा जाल बिछा दिया कि जिसे देखकर चीन भी दंग रह गया है। सीमा पर भारतीय सेना की सतर्कता और तैयारियों को देखकर घुसपैठ करने की चीन की हिम्मतें भी जवाब देने लगी हैं। इसका एक बड़ा और ज्वलंत उदाहरण यह भी है कि भारत ने जून 2020 में गलवान और नवंबर 2022 में तवांग में चीन की सेना को उल्टे पांव वापस खदेड़ दिया। भारतीय हिस्से पर कब्जा जमाने और घुसपैठ करने की चीन की कोई भी चाल अब कामयाब नहीं हो रही। ऐसे में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग अब टेंशन में आ गए हैं। आइए अब आपको बताते हैं कि मोदी सरकार के दौरान भारत ने चीन की सीमा पर कितने बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को तैयार किया है, जिसे देखकर ड्रैगन को भी दौरे आने लगे हैं।
सीमा पर नजर रखने के लिए रिकॉर्ड समय में खुले 16 दर्रे
विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने पूर्वी लद्दाख में 33 महीने से जारी सीमा गतिरोध के बीच बुधवार को कहा कि भारत ने स्पष्ट ‘‘सामरिक कारणों’’ से चीन के साथ लगती उत्तरी सीमाओं पर बुनियादी ढांचे के तेजी से विकास पर ध्यान केंद्रित किया है। जयशंकर ने संवाददाताओं के एक समूह को बताया कि लद्दाख क्षेत्र में 135 किलोमीटर तक फैली रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण चुशुल-डुंगती-फुकचे-डेमचोक सड़क पर काम पिछले महीने शुरू हुआ था। जयशंकर ने बताया कि चीन के साथ लगती सीमा पर सैनिकों की तैनाती बनाए रखने के लिए आवश्यक 16 प्रमुख दर्रों को रिकॉर्ड समय में और पिछले वर्षों की तुलना में बहुत पहले खोल दिया गया है।
दो गुना तेजी से बनाई सड़कें
अरूणाचल प्रदेश, सिक्किम और लद्दाख में सीमावर्ती क्षेत्रों से लगे कुछ पर्वतीय दर्रों को भीषण सर्दी के महीनों में भारी हिमपात के कारण बंद कर दिया जाता है। सरकार की प्राथमिकताओं के बारे में बताते हुए जयशंकर ने कहा कि 2014 से 2022 तक चीन की सीमाओं पर 6,806 किलोमीटर सड़क का निर्माण किया गया जोकि 2008 और 2014 के बीच निर्मित 3,610 किलोमीटर सड़क से लगभग दोगुनी है। चीन से लगी सीमा पर पुलों के निर्माण के संबंध में उन्होंने कहा कि 2008 से 2014 तक निर्मित पुलों की कुल लंबाई 7,270 मीटर थी, जबकि 2014 से 2022 के बीच यह बढ़कर 22,439 मीटर हो गई।
तवांग में 13 हजार फिट से अधिक ऊंचाई पर बनाई जा रही सुरंग
जयशंकर ने कहाकि हमने स्पष्ट सामरिक कारणों से चीन के साथ लगती उत्तरी सीमाओं पर बुनियादी ढांचे के तेजी से विकास पर ध्यान केंद्रित किया है। उन्होंने कहाकि 13,700 फुट की ऊंचाई पर स्थित बलीपारा-चारद्वार-तवांग रोड पर सेला सुरंग के निर्माण से भारतीय सेना का तवांग के निकट वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) तक हर मौसम में संपर्क बना रहेगा। यह चीन के लिए बड़ा झटका है। इसमें दो सुरंगें हैं -पहली 1,790 मीटर लंबी और दूसरी 475 मीटर लंबी है। सुरंग का निर्माण अगस्त 2023 तक पूरा होने की उम्मीद है।
एक बार इसका निर्माण पूरा हो जाने के बाद यह 13,000 फुट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित दुनिया की सबसे लंबी दो-लेन सुरंग होगी। विदेश मंत्री ने अत्यधिक ऊंचाई वाले और दुर्गम सीमा क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए नई तकनीकों को अपनाने की भी बात कही। जयशंकर ने नेपाल, बांग्लादेश और भूटान सहित पड़ोसी देशों के साथ विभिन्न संपर्क परियोजनाओं पर भी प्रकाश डाला।
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