भारत ईरान ने चाबहार बंदरगाह पर एक टर्मिनल के संचालन के लिए दीर्घकालिक अनुबंध पर हस्ताक्षर किया है। ऐसा करके भारत ने पाकिस्तान और चीन को बड़ा तनाव दे दिया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आज देश के शिपिंग मंत्री के ईरान रवाना होने से पहले इस समझौते की उम्मीद जताई थी। उन्होंने कहा था कि भारत चाबहार के ईरानी बंदरगाह के प्रबंधन पर ईरान के साथ एक "दीर्घकालिक व्यवस्था" हासिल करने की उम्मीद करता है। इस समझौते के बाद भारत अपने प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान में कराची और ग्वादर के बंदरगाहों पर चीन के सहयोग से विकास को तगड़ा जवाब दिया है। भारत ने पाकिस्तान और चीन के इस प्रयास को दरकिनार करते हुए ईरान, अफगानिस्तान और मध्य एशियाई देशों में माल परिवहन के लिए ओमान की खाड़ी के साथ ईरान के दक्षिणपूर्वी तट पर चाबहार में बंदरगाह का एक हिस्सा विकसित कर रहा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस समझौते को ऐतिहासिक बताया है।
रॉयटर्स के हवाले कहा गया है कि इससे एशियाई देशों में भारत की पहुंच और मजबूत हो जाएगी। साथ ही व्यापार करना आसान हो जाएगा। हालांकि, ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों ने इस बंदरगाह के विकास की गति को धीमा कर दिया है। मगर अब भारत के सहयोग से इसके जल्द विकसित होने की उम्मीद है। भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मुंबई में संवाददाताओं से कहा, "जब भी कोई दीर्घकालिक व्यवस्था संपन्न होगी, तो बंदरगाह में बड़े निवेश का रास्ता साफ हो जाएगा।" उन्होंने कहा कि कैबिनेट सहयोगी जहाजरानी मंत्री सर्बदानंद सोनोवाल ईरान की यात्रा पर हैं।
ईरान-भारत ने किया अनुबंध पर हस्ताक्षर
भारत ने सर्बदानंद सोने वाल की ईरान यात्रा से पहले ही दोनों देशों के बीच इस अहम समझौते की उम्मीद जताई थी। इस समझौते के बाद भारत को ईरानी बंदरगाह का दीर्घकालिक पट्टा मिल गया है। यह भारत के लिए बड़ी उपलब्धि है। हालांकि इसकी अवधि के बारे में अभी खुलासा नहीं हुआ है। मगर माना जा रहा है कि कम से कम यह अनुबंध संभवतः 10 वर्षों के लिए है। यह समझौता भारत को इरानी बंदरगाह के एक हिस्से पर प्रबंधन और नियंत्रण का अधिकार देगा। (रायटर्स)