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भारत ने रूस से अब तक खरीदा रिकॉर्ड तेल, पश्चिमी प्रतिबंधों का बिगड़ा खेल

यूक्रेन पर हमले का दोषी ठहराते हुए पश्चिमी देशों की ओर से रूस पर लगाए गए हजारों प्रतिबंधों के बावजूद पुतिन का हौसला डिगा नहीं है। इसकी एक वजह भारत भी है। जब पश्चिमी देशों ने रूस के कच्चे तेल पर प्राइस कैप लगाया तो यह माना जा रहा था कि इससे उसकी आर्थिक स्थिति बुरी तरह बर्बाद हो जाएगी।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Mar 05, 2023 14:57 IST, Updated : Mar 05, 2023 14:57 IST
कच्चे तेल का संयंत्र (प्रतीकात्मक फोटो)
Image Source : PTI कच्चे तेल का संयंत्र (प्रतीकात्मक फोटो)

नई दिल्लीः यूक्रेन पर हमले का दोषी ठहराते हुए पश्चिमी देशों की ओर से रूस पर लगाए गए हजारों प्रतिबंधों के बावजूद पुतिन का हौसला डिगा नहीं है। इसकी एक वजह भारत भी है। जब पश्चिमी देशों ने रूस के कच्चे तेल पर प्राइस कैप लगाया तो यह माना जा रहा था कि इससे उसकी आर्थिक स्थिति बुरी तरह बर्बाद हो जाएगी। तेल और प्राकृतिक गैस रूस के डिपो में पड़े-पड़े खराब हो जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अकेले भारत ने रूस से अब तक इतना तेल खरीद डाला कि जिसकी कल्पना स्वयं पुतिन ने भी नहीं की रही होगी। भारत के इस कदम के चलते पश्चिमी देशों की प्राइस कैप और अन्य प्रतिबंधों की योजना विफल साबित होने लगी है।

आंकड़ों के मुताबिक भारत का रूस से कच्चे तेल का आयात फरवरी में बढ़कर रिकॉर्ड 16 लाख बैरल प्रतिदिन हो गया है जो उसके परंपरागत आपूर्तिकर्ताओं इराक एवं सऊदी अरब के संयुक्त तेल आयात से भी अधिक है। तेल के आयात-निर्यात पर नजर रखने वाली संस्था वर्टेक्सा ने बताया कि भारत जितनी मात्रा में तेल आयात करता है उसकी एक तिहाई से अधिक आपूर्ति अकेले रूस ने की है और वह लगातार पांचवे महीने भारत को कच्चे तेल का इकलौता सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बना हुआ है। रूस और यूक्रेन के बीच फरवरी 2022 में युद्ध शुरू होने से पहले तक भारत के तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी एक फीसदी से भी कम होती थी। लेकिन पिछले महीने फरवरी में यह 35 फीसदी बढ़कर 16.20 लाख बैरल प्रतिदिन हो गई। रूस से भारत का आयात बढ़ने का असर सऊदी अरब और अमेरिका से होने वाले तेल आयात पर पड़ा है।

भारत कहां से कितना तेल आयात करता है

सऊदी अरब से आयात किया जाने वाला तेल मासिक आधार पर 16 फीसदी घट गया जबकि अमेरिका से होने वाले तेल आयात में 38 फीसदी की कमी आई है। वर्टेक्सा के मुताबिक, अब रूस से भारत जितना तेल आयात करता है वह दशकों से उसके आपूर्तिकर्ता रहे इराक और सऊदी अरब से किए जाने वाले कुल आयात से भी अधिक है। इराक ने फरवरी के महीने में 9,39,921 बैरल प्रतिदिन तेल की आपूर्ति की जबकि सऊदी अरब ने 6,47,813 बैरल प्रतिदिन की आपूर्ति की। यह बीते 16 महीनों में इराक और सऊदी अरब से हुई सबसे कम आपूर्ति है। फरवरी, 2023 में संयुक्त अरब अमीरात ने भारत को 4,04,570 बैरल प्रतिदिन की आपूर्ति कर अमेरिका को पीछे छोड़ दिया। अमेरिका ने 2,48,430 बैरल तेल प्रतिदिन की आपूर्ति की जो जनवरी की आपूर्ति 3,99,914 बैरल प्रतिदिन से कम है। वर्टेक्सा की प्रमुख (एशिया-प्रशांत विश्लेषण) सेरेना हुआंग ने कहा, ‘‘रूस से आने वाले सस्ते कच्चे तेल के शोधन से भारतीय तेलशोधक कंपनियों को अधिक मार्जिन मिल रहा है। आने वाले समय में भी यह सिलसिला बने रहने की उम्मीद है।’’ रूस यूक्रेन पर हमले के बाद से पश्चिमी देशों की तरफ से लगाई गई आर्थिक पाबंदियों से निपटने के लिए इस समय भारत को रिकॉर्ड मात्रा में कच्चे तेल की बिक्री कर रहा है।

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