नई दिल्लीः भारत ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या मामले में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के झूठ को बेनकाब कर दिया है। साथ ही भारत ने ट्रूडो के लॉरेंस बिश्नोई वाले बयान पर भी कनाडा की सच्चाई दुनिया के सामने रख दी है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि उसने लॉरेंस बिश्नोई गिरोह और अन्य गिरोहों के सदस्यों के बारे में सुरक्षा संबंधी जानकारी कनाडा सरकार के साथ साझा की है और उनकी गिरफ्तारी की मांग की है, लेकिन अभी तक ओटावा द्वारा “कोई कार्रवाई” नहीं की गई है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने संवाददाताओं से कहा, “उन्होंने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है, जो हमारी मुख्य चिंता है। और, इसके पीछे एक राजनीतिक मकसद है, जिसे आप जानते हैं। हमारी सुरक्षा चिंता पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।” उन्होंने यह बात यहां अपने साप्ताहिक संवाददाता सम्मेलन के दौरान एक प्रश्न के उत्तर में कही, जब उनसे भारत-कनाडा संबंधों पर कई प्रश्न पूछे गए। यह बात कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा एक जांच आयोग के समक्ष गवाही देने के एक दिन बाद कही गई। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में जायसवाल ने कहा, “जहां तक मेरी जानकारी है, पिछले एक दशक या उससे अधिक समय से कनाडा के पास भारत से 26 प्रत्यर्पण अनुरोध लंबित हैं।”
भारत ने ट्रूडो के आरोपों को फिर कहा-निराधार
भारत ने बृहस्पतिवार को एक बार फिर हरदीप सिंह निज्जर की हत्या मामले में ट्रूडो के आरोपों को बेतुका और निराधार करार दिया। रणधीर जायसवाल ने कहा कि कनाडा के साथ मौजूदा कूटनीतिक विवाद ट्रूडो सरकार के “निराधार” आरोपों के कारण उत्पन्न हुआ है। नई दिल्ली के खिलाफ ओटावा के गंभीर आरोपों के समर्थन में “कोई सबूत” साझा नहीं किया गया है। उन्होंने कहा, “हम कहेंगे कि जहां तक आरोपों का सवाल है, प्रधानमंत्री ट्रूडो द्वारा कल की गई स्वीकारोक्ति से आरोपों पर हमारे रुख के महत्व का पता चलता है।
हम स्वाभाविक रूप से अपने राजनयिकों के खिलाफ लगाए गए झूठे आरोपों को खारिज करेंगे।” संघीय चुनाव प्रक्रियाओं और लोकतांत्रिक संस्थाओं में विदेशी हस्तक्षेप की सार्वजनिक जांच के समक्ष गवाही देते हुए ट्रूडो ने बुधवार को स्वीकार किया कि जब उन्होंने पिछले वर्ष खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय सरकारी एजेंटों की संलिप्तता का आरोप लगाया था, तब उनके पास केवल खुफिया जानकारी थी और कोई “ठोस साक्ष्य” नहीं था।
कनाडा के पास लंबित हैं 26 प्रत्यर्पण अनुरोध
सार्वजनिक जांच के समक्ष गवाही देते हुए ट्रूडो ने दावा किया था कि भारतीय राजनयिक उन कनाडाई लोगों के बारे में जानकारी एकत्र कर रहे थे जो नरेन्द्र मोदी सरकार से असहमत हैं और इसे भारत सरकार के उच्चतम स्तर तथा लॉरेंस बिश्नोई गिरोह जैसे आपराधिक संगठनों तक पहुंचा रहे थे। भारत की ओर से प्रत्यर्पण अनुरोधों के बारे में पूछे गए एक प्रश्न पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि 26 प्रत्यर्पण अनुरोधों के अलावा, कई अपराधियों के अनंतिम गिरफ्तारी अनुरोध भी कनाडा के पास लंबित हैं।
जायसवाल ने कहा, “आतंकवाद और उससे संबंधित अपराधों के आरोप में जिन लोगों पर आरोप लगाए गए हैं, मैं उनके नाम लेना चाहूंगा। वे हैं, गुरजीत सिंह, गुरजिंदर सिंह, गुरप्रीत सिंह, लखबीर सिंह लांडा और अर्शदीप सिंह गिल। जैसा कि मैंने आपको बताया, वे आतंकवाद के आरोपों में वांछित हैं। और कुछ संबंधित आरोप भी हैं।” भारत ने पारस्परिक कानूनी सहायता संधि के तहत अनंतिम गिरफ्तारी की जानकारी मांगी है। (भाषा)
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