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India China: विदेश मंत्री एस जयशंकर के इस बयान को सुनकर गुस्से से आग बबूला हुआ चीन, बोला- हमने नहीं भारत ने LAC पर तोड़ा समझौता

India China: ग्लोबल टाइम्स ने भारत पर 1993 और 1996 के समझौतों के उल्लंघन का आरोप लगाया है। उसने चीनी विश्लेषक के हवाले से लिखा है, '17 जुलाई को भारत और चीन के बीच 16वीं कोर कमांडर स्तर की बैठक हुई थी, तब स्थिरता और शांति बनाए रखने पर सहमति बनी थी।

Written By: Shilpa @Shilpaa30thakur
Updated on: December 14, 2022 23:01 IST
Foreign Minister S Jaishankar- India TV Hindi
Image Source : PTI Foreign Minister S Jaishankar

Highlights

  • विदेश मंत्री के बयान से गुस्सा हुआ चीन
  • भारत के खिलाफ जमकर उगला जहर
  • समझौतों के उल्लंघन का लगाया आरोप

India China: चीन ने सीमा विवाद के मुद्दे पर विदेश मंत्री एस जयशंकर के बयान को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अपने एडिटोरियल में जयशंकर के बयान को लेकर भारत पर जमकर निशाना साधा है। ग्लोबल टाइम्स ने सच्चाई को छिपाने की एक नाकाम कोशिश करते हुए दावा किया है कि चीन ने नहीं बल्कि भारत ने द्विपक्षीय समझौते का उल्लंघन किया है और सीमा को पार किया है। केवल इतना ही नहीं, बल्कि चीनी सरकार के इस मुखपत्र में ये भी कहा गया है कि भारत ने चीनी जमीन पर कब्जा किया है। एक तरफ पूरी दुनिया ये बात जानती है कि चीन ने भारत के 38 हजार स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र पर गैर कानूनी तरीके से कब्जा किया हुआ है। 

ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की टिप्पणी से दोनों देशों के बीच का आपसी विश्वास कम हो जाता है। इसका द्विपक्षीय संबंधों के विकास पर असर पड़ सकता है। ग्लोबल टाइम्स ने दावा किया है कि चीन ने नहीं बल्कि भारत ने द्विपक्षीय समझौतों की अवहेलना और उल्लंघन किया है और चीन के क्षेत्र पर अतिक्रमण किया है। दरअसल रविवार को ब्राजील के साउ पाउलो में आयोजित एक कार्यक्रम में एस जयशंकर ने कहा था कि इस वक्त हम एक कठिन दौर से गुजर रहे हैं। भारत और चीन के बीच 1990 के दशक में समझौते हुए थे।

1993 और 1996 के समझौतों का किया जिक्र

विदेश मंत्री ने कहा था कि चीन ने इन समझौतों का उल्लंघन किया है। आपको पता है कि कुछ साल पहले गलवान में क्या हुआ था। उस समस्या का अभी तक समाधान नहीं हुआ है और इसका साफतौर पर असर पड़ रहा है। ग्लोबल टाइम्स ने भारत पर 1993 और 1996 के समझौतों के उल्लंघन का आरोप लगाया है। उसने चीनी विश्लेषक के हवाले से लिखा है, '17 जुलाई को भारत और चीन के बीच 16वीं कोर कमांडर स्तर की बैठक हुई थी, तब स्थिरता और शांति बनाए रखने पर सहमति बनी थी। दोनों पक्षों ने उकसावे की कार्रवाई नहीं करने और बातचीत जारी रखने का फैसला लिया था। वो भारत ही है, जिसने 1990 के दशक में दोनों देशों के बीच हुए समझौतों का उल्लंघन किया है।'

क्या था 1993 का सीमा समझौता?

ग्लोबल टाइम्स ने आगे चाइनीज अकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज के तहत आने वाले इंस्टीट्यूट ऑफ चाइनीज बॉर्डरलैंड्स स्टडीज के रिसर्च फेलो झांग योंगपान के हवाले से ये बातें लिखी हैं। दरअसल भारत और चीन ने 1993 और 1996 में सीमा विवाद के मुद्दे पर दो समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे। 1993 के सीमा से जुड़े हस्ताक्षरित समझौते में दोनों देशों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति और स्थिरता बनाए रखने पर सहमति हुई थी।  

भारत पर एलएसी पार करने का लगाया आरोप

वहीं झांग योंगपांन ने स्पष्ट तौर पर गलत बयान देते हुए कहा है कि भारत अकसर एलएसी को पार करता है और उसने बीते 20 सालों में न केवल डोकलाम बल्कि पैंगोंग झील के क्षेत्र और गलवान घाटी में भी चीन के क्षेत्र में अतिक्रमण किया है। उन्होंने दावा किया कि भारत ने उस समझौते का भी गंभीर रूप से उल्लंघन किया है, जिसमें कहा गया था कि दोनों पक्षों की तरफ से एलएसी को पार करने की कोशिश नहीं होगी। 1993 के समझौते में उल्लेख किया गया है कि प्रत्येक पक्ष अपने सैन्य बलों को एलएसी के पास सीमित क्षेत्र पर रखेगा। झांग ने कहा कि चीन ने मैत्रीपूर्ण संबंधों को बनाए रखने के लिए एलएसी क्षेत्र में बड़ी संख्या में अपने सैनिकों को तैनात नहीं किया है। झांग ने ये भी कहा कि इसके विपरीत भारत बीती सदी के अंत से एलएसी पर अपनी सैन्य शक्ति का तेजी से विस्तार कर रहा है।

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