नेपीताः भारत-म्यांमार की सीमा पर क्या कोई बड़ा फैसला होने वाला है। आखिर भारत से लगी म्यामांर की सीमा पर इतनी हलचल क्यों हैं, भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने म्यांमा के प्रधानमंत्री सीनियर जनरल मिन आंग ह्लाइंग से अचानक मुलाकात क्यों की है? भारत और म्यांमार के बीच हुई इस वार्ता के सही मायने क्या हैं ? भारत से लगी म्यांमार की सीमा पर इतनी अशांति आखिर किस लिए है? क्या अजीत डोभाल सीमा पर शांति का रास्तो खोजने के लिए ही म्यांमार के पीएम के साथ बैठक किए थे। तो इसका जवाब हां है। बता दें कि इस बैठक में भारत-म्यांमार की और सीमा क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता बनाने के उपायों पर चर्चा की गई है।
भारत के एनएसए अजीत डोभाल म्यांमार में ‘बहुक्षेत्रीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल’ (बिम्सटेक) के सदस्य देशों के सुरक्षा प्रमुखों की चौथी वार्षिक बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं। ‘स्टेट एडमिनिस्ट्रेशन काउंसिल’ के अध्यक्ष ह्लाइंग ने शुक्रवार को डोभाल का अपने कार्यालय में स्वागत किया।
मांयामार और भारत के बीच 1643 किमी साझेदारी
सरकारी समाचार पत्र ‘द ग्लोबल न्यू लाइट ऑफ म्यांमा’ ने बताया कि बैठक में ह्लाइंग और डोभाल ने भारत और म्यांमा के बीच मैत्री संबंधों व सहयोग, म्यांमा की राजनीतिक प्रगति, स्वतंत्र व निष्पक्ष लोकतांत्रिक आम चुनाव कराने की तैयारियों और सीमा क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता के लिए उपायों पर विचार साझा किए। अखबार ने कहा कि म्यांमा, भारत के साथ लगते सीमावर्ती क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता बनाए रखने का प्रयास कर रहा है। दोनों देश 1,643 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं जो मिजोरम, मणिपुर, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुजरती है। (भाषा)
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