नई दिल्लीः भारत और थाईलैंड के संबंधों को अब नई मजबूती मिली है। रक्षा से लेकर सुरक्षा तक, व्यापार से तकनीकी सहयोग तक और अन्य क्षेत्रों में थाईलैंड भारत का अहम रणनीतिक साझेदार बनकर उभरा है। विदेश मंत्री एस.जयशंकर और थाईलैंड के उनके समकक्ष मारिस संगियामपोंगसा ने व्यापार, कनेक्टिविटी और निवेश के क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग में प्रगति की समीक्षा की। भार दोनों विदेश मंत्रियों के बीच क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग दल (बिम्सटेक) सदस्य देशों की एक बैठक के इतर हुई बातचीत के दो दिन बाद विदेश मंत्रालय ने रविवार को यह जानकारी दी।
विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘दोनों मंत्रियों ने रक्षा और सुरक्षा संबंधों, व्यापार और निवेश अवसरों, कनेक्टिविटी, विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग, स्वास्थ्य सहयोग, संस्कृति और लोगों के बीच परस्पर संपर्क के विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति की समीक्षा की।’’ दक्षिणपूर्व एशियाई देशों के संघ (आसियान) के 10 सदस्यीय देशों के प्रमुख सदस्य थाईलैंड को दक्षिणपूर्व एशियाई क्षेत्र में एक अहम रणनीतिक साझेदार के रूप में देखा जाता है। मंत्रालय ने कहा, ‘‘दोनों मंत्रियों ने परस्पर हित के मुद्दों पर भी विचार साझा किए और उप-क्षेत्रीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मंच पर करीबी सहयोग के प्रति प्रतिबद्धता जतायी।’’ जयशंकर ने 12 जुलाई को थाईलैंड के मंत्री के साथ बैठक की और उनके सम्मान में दोपहर के भोजन की मेजबानी की।
थाईलैंड बना आसियान में भारत का प्रमुख साझेदार
बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल (बिम्सटेक) बहुआयामी सहयोग के लिए दक्षिण और दक्षिणपूर्व एशिया के सात देशों को एक साथ लाता है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की दूरदृष्टि के अनुसार, जयशंकर और संगियामपोंगसा ने मजबूत भारत-थाईलैंड साझेदारी की परस्पर आकांक्षा की पुन: पुष्टि की। उसने कहा कि थाईलैंड आसियान में भारत का एक प्रमुख साझेदार है। विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘विदेश मंत्री और थाईलैंड के विदेश मंत्री के बीच बातचीत से द्विपक्षीय संबंध और मजबूत हुए हैं।’ (भाषा)
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