नई दिल्ली: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के अपदस्थ होने के बाद से ही भारत और बांग्लादेश में भारी तनाव का दौर जारी है। मगर इस बीच बांग्लादेश ने भारत से एक बड़ा द्विपक्षीय समझौता कर लिया है। बांग्लादेश के इस फैसले से दोनों पक्षों को फायदा होगा। दोनों देशों ने द्विपक्षीय संबंधों में तनाव के बीच बृहस्पतिवार को घोषणा की कि वे एक-दूसरे की हिरासत में मौजूद मछुआरों को उनके देश वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू करेंगे।
बता दें कि बांग्लादेश द्वारा यह कहे जाने के कुछ ही समय बाद कि वह आगामी पांच जनवरी को 95 भारतीय मछुआरों को भारतीय अधिकारियों को सौंप देगा। इस पर भारत ने कहा कि वह उसी दिन इसके बदले में 90 बांग्लादेशी मछुआरों को रिहा कर देगा। विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्षों के मछुआरा समुदायों की मानवीय और आजीविका संबंधी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए मछुआरों और उनकी नावों को छोड़ने का ये फैसला लिया गया है। इससे दोनों देशों को फायदा होगा। (भाषा)
भारत-बांग्लादेश के रिश्तों में तनाव का दौर
भारत और रिश्तों में तनाव का दौर तब शुरू हुआ, जब बांग्लादेशी छात्रों ने हिंसात्मक आंदोलने के जरिये पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपदस्थ कर दिया। हालत यह हो गई कि उन्हें अपना देश छोड़कर भारत भागना पड़ा। 5 अगस्त 2024 से ही वह भारत में रह रही हैं। इसके बाद से भारत और बांग्लादेश के रिश्ते खराब हो गए हैं। अब बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की बागडोर मोहम्मद यूनुस संभाल रहे हैं। यूनुस के सत्ता में आते ही बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार और जुल्म हो रहा है। मगर अंतरिम सरकार हिंदुओं पर हिंसा से जानबूझकर अंजान बनी है। इतना ही नहीं, उसने हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास पर देशद्रोह का आरोप लगाकर जेल भेज दिया है। तब से हिंदुओं पर हिंसा और बढ़ गई है।