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SCO शिखर सम्मेलन में BRI के खिलाफ अकेला भारत फिर पड़ा चीन पर भारी, पीओके को लेकर कही ये बड़ी बात

एससीओ शिखर सम्मेलन में चीन को अपनी बीआरआई परियोजना के लिए फिर भारत के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा। भारत ने पीओके से गुजरने के कारण इसे अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन और संप्रभुता के साथ खिलवाड़ बताया। रूस समेत अन्य देशों ने चीन की इस परियोजना का समर्थन किया।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Oct 26, 2023 23:58 IST, Updated : Oct 27, 2023 6:24 IST
एससीओ शिखर सम्मेलन।
Image Source : PTI एससीओ शिखर सम्मेलन।

बिश्केक में चल रहे एससीओ शिखर सम्मेलन में चीन की महत्वाकांक्षी ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (बीआरआई) परियोजना का भारत ने फिर कड़ा विरोध किया। जबकि अन्य एससीओ सदस्य देशों ने चीन की इस परियोजना पर अपनी सहमति दी। भारत के दोस्त रूस ने भी चीन के बीआरआइ का समर्थन किया। मगर भारत एक तरफ अकेले ही चीन की अरबों डॉलर की इस परियोजना का समर्थन करने से इनकार कर दिया। इससे चीन परेशान हो गया।

BRI के समर्थन से भारत का इनकार

भारत ने बृहस्पतिवार को एक बार फिर चीन के महत्वाकांक्षी ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (बीआरआई) का समर्थन करने से इनकार कर दिया। यहां एससीओ के शासनाध्यक्षों की परिषद की 22वीं बैठक के अंत में एक संयुक्त बयान में कहा गया कि ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिज गणराज्य, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान ने चीन के बीआरआई के लिए अपने समर्थन की पुष्टि की जो चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की पसंदीदा परियोजना है। नयी दिल्ली द्वारा जुलाई में आयोजित एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान भारत ने बीआरआई का समर्थन नहीं किया था जबकि अन्य सदस्यों ने परियोजना का समर्थन किया।

भारत के विरोध की ये रही वजह
भारत ने 60 अरब अमेरिकी डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (बीआरआई की प्रमुख परियोजना) पर चीन का विरोध किया क्योंकि इसे पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में बनाया जा रहा है। बिश्केक में शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि एससीओ सदस्यों को अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों का सख्ती से पालन करके, एक-दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करके और आर्थिक सहयोग को प्रोत्साहन देकर क्षेत्र में स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।

जयशंकर ने कही दो टूक
अपने संबोधन में जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा और अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा ‘समृद्धि का प्रवर्तक’ बन सकते हैं। भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा, जिसे कई लोग चीन के बीआरआई के विकल्प के रूप में देखते हैं, की संयुक्त रूप से घोषणा अमेरिका, भारत, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ के नेताओं ने सितंबर में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान की थी। अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा भारत, ईरान, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के बीच माल ढुलाई के लिए जहाज, रेल और सड़क मार्गों का 7,200 किलोमीटर लंबा ‘मल्टी-मोड नेटवर्क’ है।  (भाषा)

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