भारत मालदीव से अपने सैनिकों को वापस बुलाने पर सहमत हो गया है। यह दावा मालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने किया है। उन्होंने रविवार को कहा कि हमारी अपील के बाद भारत सरकार मालदीव से अपने सैनिकों को वापस बुलाने पर सहमत हो गई है। मुइज्जू ने सितंबर में मालदीव में राष्ट्रपति चुनाव जीता था। उन्होंने मालदीव में "भारत पहले" नीति को बदलने के लिए अभियान चलाया और 75 कर्मियों के छोटे भारतीय सैन्य दल की उपस्थिति को हटाने का वादा किया था।
मुइज्जू ने संवाददाताओं से कहा, "हमारे बीच हुई चर्चा में भारत सरकार भारतीय सैनिकों को हटाने पर सहमत हो गई है।" "हम विकास परियोजनाओं से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित करने पर भी सहमत हुए हैं। मुइज़ू ने भारतीय अधिकारियों के साथ COP28 जलवायु शिखर सम्मेलन के मौके पर बातचीत के बाद यह टिप्पणी की। भारत के विदेश मंत्रालय ने रविवार को उनकी इस टिप्पणी का तुरंत जवाब नहीं दिया।
मालदीव में भारत और चीन के बीच है प्रतिस्पर्धा
भारत और चीन इस क्षेत्र में अपना प्रभाव जमाने के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। अभी तक भारत मालदीव में प्रभावशाली रहा है। मगर नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मुइज्ज़ू चीन का समर्थन चीन के लिए रहता है। वह भारत विरोधी बयानों के लिए जाने जाते हैं। पूर्व में भारत ने मालदीव को दो हेलीकॉप्टरों और एक डोर्नियर विमान दिया था। इनके संचालन और प्रबंधन के लिए अधिकांश भारतीय सैन्यकर्मी मालदीव में ही उपस्थित थे। इनकी कुल संख्या 75 है। मगर चीन के बरगलाने पर मुइज्जू ने चुनाव से पहले ही सत्ता में आने पर भारतीय सैनिकों को वापस भेजने का वादा किया था।
जबकि भारत मालदीव को काफी सैन्य उपकरण भी प्रदान करता है। साथ ही आपदा प्रतिक्रिया में सहायता करता है। साथ ही वहां नौसेना का एक ठिकाना बनाने में सहायता कर रहा है। अपने शपथ समारोह के दौरान मुइज्जू ने कहा था कि वह यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके देश में कोई विदेशी सेना उपस्थिति न हो। उन्होंने भारतीय सेना की वापसी का अनुरोध भारत के पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरण रिजिजू से किया था, जिन्होंने राष्ट्रपति के उद्घाटन समारोह में भारत का प्रतिनिधित्व किया था।
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