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जापान और चीन में बढ़ी तकरार, China में जापानी स्कूल और दूतावास पर पत्थरबाजी, जापानी पीएम ने की निंदा, क्या है मामला?

जापान और चीन में तल्खी बढ़ गई है। जापान ने 24 अगस्त को अपने फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट से रेडियोएक्टिव पानी छोड़ने की शुरुआत की थी। अब चीन द्वारा इस मामले में जापानी स्कूलों और दूतावास पर पत्थरबाजी की जा रही है। इसका जापान ने विरोध किया है।

Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Published : Aug 30, 2023 9:58 IST, Updated : Aug 30, 2023 13:07 IST
जापान और चीन में बढ़ी तकरार, China में जापानी स्कूल और दूतावास पर पत्थरबाजी, जापानी पीएम ने की निंदा
Image Source : INDIA TV जापान और चीन में बढ़ी तकरार, China में जापानी स्कूल और दूतावास पर पत्थरबाजी, जापानी पीएम ने की निंदा, क्या है मामला?

China-Japan: चीन और जापान के बीच टेंशन और बढ़ गया है। खासकर जापान द्वारा छोड़े गए रेडियोएक्टिव पानी के बाद से दोनों देशों के बीच तल्खी और बढ़ गई है। जापान ने 24 अगस्त को अपने फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट से रेडियोएक्टिव पानी छोड़ने की शुरुआत की थी। पहले चीन की ओर से जापान में कई धमकी भरे कॉल किए गए। अब चीन में मौजूद जापान के मिशन्स और स्कूलों पर हमला हुआ है। जापान टाइम्स के मुताबिक, उनकी बिल्डिंग पर पत्थर फेंके गए हैं। इसके बाद जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने नाराजगी जताई है।

किशिदा ने कहा- चीन से लगातार उत्पीड़न की खबरें आ रही हैं। वहां हमारे दूतावास और स्कूलों पर पत्थर फेंके गए हैं। मैं ऐसे हमलों की निंदा करता हूं। PM ने कहा 'हमने मामले में चीनी ऐंबेसडर को समन भेजा था। उनसे कहा गया है कि वो चीन के नागरिकों को गैर-जिम्मेदाराना रवैया न अपनाने और शांति बनाए रखने के लिए कहें। चीन में जापानी बिल्डिंग्स पर हमलों के बाद सुरक्षा बढ़ा दी गई है।'

पत्थर फेंकने को लेकर चीनी राजदूत तलब

इससे पहले टोक्यो ने चीन में रह रहे अपने नागरिकों को सतर्क रहने और सार्वजनिक तौर पर जापानी भाषा का इस्तेमाल न करने की सलाह दी थी। जापान के उप विदेश मंत्री मसटाका ओकानो ने चीनी ऐम्बेसडर वू जियांघाओ से कहा- चीन को गलत जानकारी के जरिए अपने नागरिकों की चिंता बढ़ाने की बजाय उन्हें पूरे मामले के बारे में सही तरह से जानकारी देनी चाहिए, जिससे उनकी परेशानी खत्म हो सके।

12 साल पहले फुकुशिमा परमाणु प्लांट में हुआ था भयानक विस्फोट

12 साल पहले 2011 में आए भूकंप और सूनामी की वजह से फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट में भयानक विस्फोट हुआ था। इसके बाद से ही वहां 133 करोड़ लीटर रेडियोएक्टिव पानी जमा है। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक वहां जमा पानी करीब 500 ओलंपिक साइज स्विमिंग पुल के जितना है। जैसे ही जापान ने इस पानी को समुद्र में मिलाने की बात कही, चीन और दक्षिण कोरिया के लोग डरे हुए हैं।

चीन को किस बात का डर?

पानी में 64 तरह के रेडियोएक्टिव मटेरियल घुल गए। इनमें कार्बन-14, आयोडिन-131, सीजियम- 137, स्ट्रोनटियम-90 कोबाल्ट , हाइड्रोजन-3 और ट्राइटियम ऐसे एलिमेंट्स हैं, जो इंसानों के लिए हानिकारक हैं। इनमें से ज्यादातर रेडियोएक्टिव मटेरियल्स की लाइफ काफी कम होती है। इससे इनका असर खत्म हो चुका है। हालांकि, कार्बन-14 जैसे कुछ मटेरियल हैं जिसका असर कम होने में 5 हजार साल लगते हैं। इसके अलावा न्यूक्लियर रिएक्टर पानी में अभी भी ट्राइटियम के कण मौजूद हैं। इसकी वजह से चीन और  साउथ कोरिया को डर है कि ये सी फूड यानी मछली, क्रैब और समुद्री जीवों के जरिए इंसानों के शरीर तक पहुंच सकता है। 

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