जापान में चल रहे जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान पूरी दुनिया को उम्मीद थी कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर कुछ न कुछ बड़ी बात जरूर कहेंगे। यह उम्मीद इस लिए भी थी कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी बातों को मजबूती से रखने के लिए जाने जाते हैं। वह किसी भी देश के सामने अपनी बात रखने से हिचकते नहीं हैं। सितंबर 2022 में इंडोनेशिया के बाली में हुए शंघाई शिखर सम्मेलन के दौरान भी पीएम मोदी ने रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर पुतिन के सामने ही कह दिया था कि "यह युग युद्ध का नहीं है"...बल्कि बातचीत की मेज पर बैठकर शांति से समस्या का समाधान किया जाना चाहिए। पीएम मोदी के इस बयान की चर्चा पूरी दुनिया में हुई थी। अमेरिका और पश्चिमी देशों ने भी प्रधानमंत्री की इस बात के लिए तारीफ की थी।
अब जापान में जी-7 के दौरान भी प्रधानमंत्री मोदी ने रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर दो टूक कह दिया है। उल्लेखनीय है कि यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमिर जेलेंस्की भी जी-7 सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए जापान पहुंचे हुए हैं। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी की है। यूक्रेन मुद्दे पर बोलते हुए पीएम मोदी ने साफ कहा कि "यूक्रेन के हालत राजनीतिक या अर्थव्यवस्था का नहीं, बल्कि मानवता का मुद्दा है।" यानि पीएम मोदी का मतलब साफ है कि "मानवता के लिए यूक्रेन युद्ध का रोका जाना जरूरी है।"...एक तरह से पीएम मोदी ने यूक्रेन में मानवीय मूल्यों की रक्षा के लिए युद्ध का रास्ता छोड़ने और दुनिया को इसमें सहभागी बनाने की अीपल कर डाली है। निश्चित रूप से दुनिया के मानस पटल पर प्रधानमंत्री की इस अपील का असर जरूर होना चाहिए।
जेलेंस्की से मुलाकात कर बोले पीएम मोदी
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से पीएम मोदी ने जापान में द्विपक्षीय वार्ता की। इस दौरान उन्होंने फिर स्पष्ट किया कि यूक्रेन युद्ध पर शुरू से ही भारत का उद्देश्य वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि का रहा है। संवाद और कूटनीति ही समाधान का एक मात्र विकल्प है। उन्होंने कहा कि आज के दौर में पूरी दुनिया एक दूसरे देश से परस्पर संबद्ध है। इसलिए किसी क्षेत्र में तनाव होता है तो उसका असर सिर्फ उसी देश पर नहीं, बल्कि दुनिया के अन्य देशों पर भी पड़ता है। विकासशील देश सबसे ज्यादा संकट ऐसे वक्त में झेलते हैं। मोदी ने कहा कि मौजूदा वैश्विक हालात में खाद्य, ऊर्जा और ईंधन व उर्वरक का बड़ा संकट विकासशील देशों में महसूस किया जा रहा है। इसलिए आवश्यक है कि सभी देश संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतरराष्ट्रीय कानून और एक दूसरे देशों की संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करें। भारत हमेशा से मानता है कि किसी भी तनाव और विवाद का शांतिपूर्वक समाधान होना चाहिए।
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