Friday, November 22, 2024
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दुश्मन इजरायल से दोस्ती के बदले सऊदी अरब ने अमेरिका से की सौदेबाजी, रखी चौंकाने वाली शर्त

बाइडन प्रशासन के साथ बातचीत में इजरायल से रिश्ते सामान्य करने के लिए सऊदी अरब जो शर्त अमेरिका के समक्ष रख रहा है, उनमें परमाणु कार्यक्रम शुरू करने की मांग भी है। यदि अमेरिका इस पर एग्री हो जाए तो मिडिल ईस्ट की राजनीतिक में बड़ा परिवर्तन आ जाएगा।

Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Updated on: March 10, 2023 17:28 IST
दुश्मन इजरायल से दोस्ती के बदले सऊदी अरब ने अमेरिका से की सौदेबाजी, रखी चौंकाने वाली शर्त- India TV Hindi
Image Source : FILE दुश्मन इजरायल से दोस्ती के बदले सऊदी अरब ने अमेरिका से की सौदेबाजी, रखी चौंकाने वाली शर्त

Saudi arab: खाड़ी देशों में सबसे अमीर सऊदी अरब इजरायल को अपना दुश्मन मानता है, लेकिन अमेरिका दोनों की दोस्ती कराना चाहता है। सऊदी अरब ने इजरायल से दोस्ती के बदले अमेरिका के सामने एक बड़ी मांग रख दी है। सऊदी अरब ने अमेरिका से मांग की है कि इजरायल से दोस्ती के एवज में उसके असैन्य परमाणु कार्यक्रम को हरी झंडी दे दी जाए। यह बात गुरुवार को मिडिल ईस्ट के एक वरिष्ठ राजनयिक ने कही। उन्होंने कहा कि बाइडन प्रशासन के साथ बातचीत में इजरायल से रिश्ते सामान्य करने के लिए सऊदी अरब जो शर्त अमेरिका के समक्ष रख रहा है, उनमें परमाणु कार्यक्रम शुरू करने की मांग भी है। यदि अमेरिका इस पर एग्री हो जाए तो मिडिल ईस्ट की राजनीतिक में बड़ा परिवर्तन आ जाएगा। हालांकि अमेरिका इस पर ना नुकुर कर रहा है। 

टाइम्स ऑफ इजरायल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, राजनयिक ने द वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट की पुष्टि करते हुए कहा कि सऊदी अरब पिछले एक साल से बाइडेन प्रशासन के साथ बातचीत में इस मांग को उठा रहा है। वरिष्ठ राजनयिक ने कहा कि अमेरिका एक मिडिएटर के रूप में चाहता है कि दोनों देशों के बीच रिश्ते सामान्य करने को लेकर समझौता हो जाए लेकिन सऊदी अरब समझौते को लेकर किसी तरह की जल्दबाजी में नहीं है। अमेरिकी संसद सऊदी अरब की रक्षा मांगों का विरोध करती रही है जिसे देखते हुए सऊदी इजरायल के साथ समझौते से पीछे हटता रहा है।

इजरायल से क्यों खफा हैं मुस्लिम देश

राजनयिक ने कहा कि दिसंबर के अंत में बेंजामिन नेतन्याहू की धुर-दक्षिणपंथी सरकार के सत्ता में आने के बाद से इजरायल-फिलिस्तीन के बीच संघर्ष तेज हुआ है। उन्होंने कहा कि फिलिस्तीन पर इजरायल के बढ़ते हमलों ने मुस्लिम दुनिया और इजरायल के बीच प्रस्तावित समझौते की उम्मीदों को धूमिल कर दिया है।

फिलिस्तीन को अलग देश की मान्यता चाहते हैं मुस्लिम देश

सऊदी अरब का हमेशा से यह कहना रहा है कि फिलिस्तीन को एक अलग देश की मान्यता दी जाए। वैसे भी फिलिस्तीन यासेर अराफात के समय से ही इजरायल से संघर्ष कर रहा है। इधर, अरब का कहना है कि जब तक इजरायल के संबंध फिलि​स्तीन से सामान्य नहीं होंगे, तब तक सऊदी अरब इजरायल से सामान्य रिश्ते नहीं रख सकता। 

खाड़ी देशों और इजरायल के बीच बढ़ती तल्खी सऊदी अधिकारियों का बार-बार कहना रहा है कि जब तक फिलिस्तीन को एक अलग देश की मान्यता नहीं दी जाती, वो इजरायल से अपने रिश्ते सामान्य नहीं करेंगे। यही कारण है कि हाल के दिनों में खाड़ी के देशों और इजरायल के बीच के रिश्ते बेहद तल्ख हुए हैं। 

इजरायल के राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री ईतामार बेन ग्विर के टेम्पल माउंट की यात्रा को खाड़ी के देशों ने अस्वीकार बताते हुए इजरायल की कड़ी निंदा की थी। वेस्ट बैंक में इजरायल के छापे के दौरान फिलिस्तीनियों की मौतों पर भी खाड़ी देशों ने आपत्ति जताई है। हाल ही में इजरायल के वित्त मंत्री बेजालेल स्मोत्रिच ने फिलिस्तीन को मिटा देने का आह्वान किया था जिसे लेकर खाड़ी के देश इजरायल पर भड़क गए थे।

अमेरिका को इस बात का सता रहा डर

अमेरिका को इस बात का डर है कि सऊदी अरब यदि वह परमाणु कार्यक्रम की परमिशन देता है तो मिडिल ईस्ट में परमाणु हथियारों की दौड़ और बढ़ जाएगी। अमेरिका के इस डर को देखते हुए सऊदी ने उसे आश्वासन दिया है कि असैन्य परमाणु कार्यक्रम को अमेरिका के पूर्ण सहयोग और उसकी निगरानी में विकसित किया जाएगा। हालांकि, अमेरिका सऊदी अरब के इस प्रस्ताव पर सहमत नहीं हुआ है।

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