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इमरान खान ने अपनी पार्टी के बागी सांसदों पर ताउम्र बैन के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया

याचिका में अनुरोध किया गया है कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के असंतुष्ट सदस्यों को पूरी जिंदगी के लिए संसदीय मामलों से अयोग्य घोषित कर दिया जाए।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: April 14, 2022 21:19 IST
Imran Khan, Imran Khan dissident PTI lawmakers, dissident PTI lawmakers- India TV Hindi
Image Source : AP FILE Imran Khan.

Highlights

  • इमरान खान ने सुप्रीम कोर्ट का रुख कर पीटीआई के नेशनल असेंबली के असंतुष्ट सदस्यों को अयोग्य घोषित करने की मांग की है।
  • याचिका में अनुरोध किया गया है कि असंतुष्ट सदस्यों को पूरी जिंदगी के लिए संसदीय मामलों से अयोग्य घोषित कर दिया जाए।

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख कर पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के नेशनल असेंबली के असंतुष्ट सदस्यों को अयोग्य घोषित करने की मांग की है। एक्सप्रेस ट्रिब्यून की खबर के मुताबिक, याचिका में पाकिस्तान के चुनाव आयोग, नेशनल असेंबली के अध्यक्ष, कानून सचिव और कैबिनेट सचिव को पार्टियों के रूप में सूचीबद्ध किया गया है और इसे संविधान के अनुच्छेद 184 (3) के तहत दायर किया गया है। संविधान का हवाला देते हुए कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट को सार्वजनिक महत्व के किसी मामले और संविधान में उल्लिखित मौलिक अधिकारों का हनन होने पर दखल देने का अधिकार है।

‘सारे बागी सांसदों को अयोग्य घोषित किया जाए’

याचिका में अनुरोध किया गया है कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के असंतुष्ट सदस्यों को पूरी जिंदगी के लिए संसदीय मामलों से अयोग्य घोषित कर दिया जाए और यदि कोई सदस्य पार्टी छोड़ना चाहता है तो उन्हें संविधान के अनुच्छेद 63-ए के अनुसार दलबदल करने के बजाय पहले नेशनल असेंबली के सदस्य पद से इस्तीफा देना होगा। इसमें कहा गया है कि वफादारी बदलने का मतलब है कि व्यक्ति अब 'सादिक और अमीन' नहीं रहा। याचिका में आगे कहा गया है कि इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव में PTI के असंतुष्ट सदस्यों द्वारा डाले गए वोटों की गिनती नहीं की जानी चाहिए थी।

‘इन्हें वोटों की गिनती से बाहर रखना चाहिए था’
याचिका में लिखा है, ‘एक निर्वाचित प्रतिनिधि होने के नाते (यह) संवैधानिक रूप से निषिद्ध और नैतिक रूप से दलबदल (उनके संसदीय दल के खिलाफ) से बचना है, और सदस्य अपने वोट की गिनती के निहित अधिकार का दावा नहीं कर सकता, और ऐसे दागी वोटों को गिनती से बाहर रखा जाना चाहिए था।’ इसने कहा कि पार्टी के असंतुष्ट सदस्यों को आजीवन प्रतिबंधित नहीं किए जाने का कोई कारण नहीं है। याचिका में कहा गया है, ‘इस माननीय अदालत ने कई मामलों में देखा है कि दलबदल या फ्लोर क्रॉसिंग राजनीति के पूरे शरीर के लिए कैंसर की बीमारी से कम नहीं है और यह लोकतांत्रिक शासन की भावना को नष्ट कर देता है।’

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