Sunday, November 24, 2024
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Imran Khan Live Update: हाईकोर्ट ने इमरान को फिर दी 2 जून तक के लिए जमानत, पूर्व पीएम ने कहा-पाक में मौलिक अधिकार खत्म हो चुके

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को अब कई अधिकार समूहों का भी साथ मिलना शुरू हो गया है। पाकिस्तान के कई अधिकार समूहों ने इमरान खान के समर्थकों पर सेना के कानूनों के तहत मुकदमा चलाने के लिए आलोचना की है। इधर हाईकोर्ट ने इमरान की जमानत को 2 जून तक के लिए बढ़ा दिया है।

Written By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: May 19, 2023 12:17 IST
इमरान खान, पूर्व पीएम पाकिस्तान- India TV Hindi
Image Source : AP इमरान खान, पूर्व पीएम पाकिस्तान

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को फिर हाईकोर्ट से बढ़ी राहत मिली है। कोर्ट ने उनकी जमानत अवधि को 2 जून तक के लिए बढ़ा दिया है। भ्रष्टाचार समेत कई अन्य मामलों में आज दोपहर इमरान खान कोर्ट में पेश हुए थे, जहां तय होना कि उन्हें जेल मिलेगी या बेल....लेकिन कोर्ट ने अपने फैसले में 2 जून तक के लिए जमानत दे दी। जमानत के बाद इमरान खान ने कहा कि मेरे और पीटीआइ के खिलाफ बड़ी साजिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि देश के हालात काफी खराब हो चुके हैं। मैनें 35 वर्षों में पहले ऐसी स्थिति कभी नहीं देखी। पाकिस्तान के लिए मैं अकेला लड़ रहा हूं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में मौलिक अधिकार खत्म हो चुके हैं। किसी को भी अरेस्ट कर ले रहे हैं। इधर जुमे की नमाज के बाद इमरान पर बड़े एक्शन की तैयारी है। उनके घर में आतंकियों को खोजने के लिए 400 से अधिक पुलिस कर्मी सर्च ऑपरेशन को तैयार हैं।

इस बीच इमरान खान को अब कई अधिकार समूहों का भी साथ मिलना शुरू हो गया है। पाकिस्तान के कई अधिकार समूहों ने इमरान खान के समर्थकों पर सेना के कानूनों के तहत मुकदमा चलाने के लिए आलोचना की है। साथ ही इसे लेकर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए इसे नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन भी करार दिया है। अधिकार समूहों का कहना है कि नागरिकों पर मुकदमा चलाने के लिए सैन्य अदालतों का इस्तेमाल निंदनीय कदम है।

जब 9 मई को गिरफ्तार हुए थे खान

अलजजीरा की खबर के अनुसार एक 40 वर्षीय पाकिस्तानी ने अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि गत 9 मई को जैसे ही इमरान खान को गिरफ्तार करने की खबर फैली। वैसे ही मैंने इस तरह से पूर्व पीएम का अपहरण किए जाने का विरोध करने के लिए सोचा। फिर  "मैंने पीटीआइ [पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ] समर्थकों के हमारे व्हाट्सएप ग्रुप को मैसेज किया कि हमें इस गैरकानूनी कृत्य के विरोध में बाहर इकट्ठा होना चाहिए। इस तरह अकरम उन 80 लोगों में शामिल हो गए जो खान की रिहाई की मांग के लिए पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची में सड़कों पर उतरे। अकरम ने कहा कि “हमारे पास तख्तियां थीं और हम खान के समर्थन में नारे लगा रहे थे।

शुरुआत में, वर्दीधारी पुलिसकर्मी हमारे पास आए और सख्ती से कहा कि सड़कों को ब्लॉक न करें या कोई नागरिक अशांति पैदा न करें। लेकिन आधे घंटे के भीतर, सादे कपड़ों में पुलिसकर्मियों का एक समूह आया और हममें से 40 से अधिक को उठा लिया, हमें एक पुलिस वाहन में फेंक दिया और हमें एक हवालात में ले गया। 30 से अधिक अन्य लोगों के साथ "एक छोटे सेल में" रखे जाने से पहले उन्हें पांच अलग-अलग पुलिस स्टेशनों में ले जाया गया था। "परिस्थितियां प्रतिकूल थीं, और वहां सांस लेने के लिए मुश्किल से ही कोई जगह थी। मुझे रिहा करने से पहले, पुलिस ने बिना कोई मामला दर्ज किए मुझे दो दिनों तक रखा। 11 मई को रिहाई उसी दिन हुई जिस दिन सुप्रीम कोर्ट ने खान की गिरफ्तारी को अवैध घोषित किया था।

सैन्य अदालत में चलेगा मुकदमा

पंजाब प्रांत के अंतरिम सूचना मंत्री आमिर मीर ने कहा कि पूर्वी शहर लाहौर में शीर्ष सैन्य कमांडर के आवास और अन्य सैन्य इमारतों को निशाना बनाने के आरोपियों पर सैन्य अदालतों में मुकदमा चलाया जाएगा। अब तक , जहां 3,200 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इन अपराधियों की पहचान हमलों में उनकी संलिप्तता की 100 प्रतिशत पुष्टि के बाद ही की गईॉ। मीर ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा, हम उनमें से एक उदाहरण पेश करेंगे ताकि कोई भी भविष्य में इसे दोहराने की हिम्मत न कर सके। मंगलवार को, पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (NSC) ने देश के कठोर सेना कानूनों के तहत दंगों में शामिल लोगों पर मुकदमा चलाने के सेना के फैसले को मंजूरी दे दी, जो नागरिक अदालतों को खत्म कर देता है। सैन्य अदालतें पाकिस्तान की नागरिक कानूनी व्यवस्था से अलग हैं जहां न्यायाधीश सेना की कानूनी शाखा के सदस्य होते हैं।

दोषी को अन्य अदालत में अपील का अधिकार नहीं

सैन्य प्रतिष्ठानों में इन मुकदमों की सुनवाई हो रही है, जहां मीडिया की पहुंच नहीं है। अगर दोषी ठहराया जाता है, तो किसी व्यक्ति को अपने मामले को किसी अन्य अदालत में अपील करने का कोई अधिकार नहीं है। इसीलिए पाकिस्तान के भीतर अंतर्राष्ट्रीय अधिकार संगठनों और समूहों ने नागरिकों पर मुकदमा चलाने के लिए सैन्य अदालतों का उपयोग करने के फैसले की कड़ी आलोचना की है। साथ ही तर्क देते हुए कि यह प्रक्रिया के नागरिकों के अधिकार का उल्लंघन करता है। पाकिस्तानी सेना देश के राजनीतिक मामलों में एक प्रमुख खिलाड़ी है और 1947 से तीन दशकों से अधिक समय तक सीधे तौर पर इस पर शासन किया है। पिछले साल अविश्‍वास के एक संसदीय वोट के जरिए हटाए गए खान ने अपनी गिरफ्तारी और पीटीआई के खिलाफ कार्रवाई के लिए बार-बार सेना प्रमुख जनरल सैयद असीम मुनीर को जिम्मेदार ठहराया है। वहीं पाकिस्तान की सरकार और सेना दोनों ने खान पर आर्मी के खिलाफ नफरत फैलाने का आरोप लगाया है और कहा है कि पिछले हफ्ते हुए दंगों में शामिल लोगों को न्याय के कठघरे में लाया जाएगा। बुधवार को एक बयान में सेना ने सेना प्रमुख के हवाले से कहा, "हाल ही में सुनियोजित और सुनियोजित दुखद घटनाओं को किसी भी कीमत पर दोबारा नहीं होने दिया जाएगा।"

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