पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के पूर्व प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मुनीर को गुरुवार को देश का नया सेना प्रमुख चुना है। ये जानकारी देश की सूचना मंत्री मरयम औरंगजेब ने प्रधानमंत्री के हवाले से साझा की है। मुनीर लेफ्टिनेंट जनरल कमर जावेद बाजवा की जगह लेंगे, जो 29 नवंबर को सेवानिवृत हो रहे हैं। 61 साल के बाजवा को 2016 में तीन साल के लिए सेना प्रमुख नियुक्त किया गया था। उन्हें 2019 में तीन साल का सेवा विस्तार दिया गया था। उन्होंने अपने कार्यकाल के और विस्तार का अनुरोध करने की संभावना से इनकार कर दिया था। जनरल मुनीर के अलावा, लेफ्टिनेंट जनरल साहिर शमशाद मिर्जा को ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (सीजेसीएससी) का अध्यक्ष चुना गया है।
मरयम औरंगजेब के अनुसार, राष्ट्रपति आरिफ अल्वी को इसकी जानकारी दी गई है और इससे संबंधित विवरण उन तक भेज दिए जाएंगे। दिलचस्प बात ये है कि जनरल मुनीर को सितंबर 2022 में अपने पद से सेवानिवृत होना था लेकिन उनका कार्यकाल 27 नवंबर तक बढ़ा दिया गया। अब ये फैसला लिया गया है कि वह अगले तीन साल तक सेना प्रमुख का पद संभालेंगे। पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) का कहना है कि मुनीर सेना प्रमुख के पद के लिए उपयुक्त हैं और वही पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को सही जवाब दे सकते हैं। ऐसी जानकारी सामने आई है कि जनरल आसिम मुनीर वर्तमान सेना प्रमुख जनरल बाजवा के पसंदीदा हैं और वह ही चाहते थे कि मुनीर सेना प्रमुख बनें।
इमरान खान के चलते पद से हटे
इससे पहले लेफ्टिनेंट जनरल मुनीर को 2017 की शुरुआत में सैन्य खुफिया महानिदेशक नियुक्त किया गया था और अगले साल अक्टूबर में इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) प्रमुख बनाया गया था। उन्हें 2018 में बाजवा की सिफारिश पर ही आईएसआई का प्रमुख बनाया गया। लेकिन इसके आठ महीने बाद ही मई 2019 में उन्हें इस पद से हटा दिया गया। वह जनरल मुनीर ही थे, जिन्होंने भ्रष्टाचार के उस मामले का भंडाफोड़ किया था, जिसमें इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी का नाम सामने आया था। इन्हीं सब आरोपों के बाद इमरान खान ने उन्हें इस पद से हटा दिया था। जनरल आसिम मुनीर, जनरल बाजवा के साथ ही बाकी सभी लोगों के भी काफी पसंदीदा हैं। मुनीर इस वक्त सबसे वरिष्ठ अधिकारियों में से एक हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि सेना प्रमुख के पद के लिए जिन लोगों की लिस्ट प्रधानमंत्री को भेजी गई थी, उसमें मुनीर का नाम टॉप पर था।
जनरल हेडक्वार्टर में तैनात रहे
सेना प्रमुख के तौर पर आसिम मुनीर के नाम के ऐलान से पहले वह रावलपिंडी के जनरल हेडक्वार्टर में क्वार्टर मास्टर जनरल के पद पर तैनात थे। वहीं वह पाकिस्तान की ओपन ट्रेनिंग सर्विस (ओटीएस) के माध्यम से सेना में शामिल हुए थे। इस बीच, रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने मीडिया को बताया कि राष्ट्रपति आरिफ अल्वी को ‘‘सिफारिश’’ भेज दी गई है और सभी मामलों में कानून एवं संविधान के अनुसार काम किया गया है। ‘डॉन’ समाचार पत्र ने बताया कि आसिफ ने नागरिकों से इन नियुक्तियों को ‘‘राजनीतिक चश्मे’’ से नहीं देखने का आह्वान किया। उन्होंने उम्मीद जताई कि राष्ट्रपति नियुक्तियों को ‘‘विवादास्पद’’ नहीं बनाएंगे और प्रधानमंत्री की सलाह का समर्थन करेंगे। रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘इससे हमारे देश और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में भी मदद मिलेगी। फिलहाल सब कुछ ठप है।’’
लंबे समय तक चलता रहा सैन्य शासन
सीजेसीएससी सशस्त्र बलों में सर्वोच्च पद है, लेकिन सैनिकों की तैनाती, नियुक्तियों और स्थानांतरण सहित प्रमुख शक्तियां थल सेनाध्यक्ष के पास होती हैं, इसलिए फौज में सेना प्रमुख को सबसे शक्तिशाली माना जाता है। पाकिस्तान में सेना काफी ताकतवार मानी जाती है। पाकिस्तान को अस्तित्व में आए 75 साल हुए हैं और देश पर आधे से ज्यादा वक्त सेना का शासन रहा है। सुरक्षा और विदेश नीति में फौज का काफी दखल रहता है। नए सेना प्रमुख की नियुक्ति काफी अहम है, क्योंकि कई लोगों का मानना है कि अपदस्थ प्रधानमंत्री इमरान खान की रैली का संबंध सेना में कमान बदलने से है। उन्होंने अपने समर्थकों को 26 नवंबर को रावलपिंडी में इकट्ठा होने के लिए कहा है, जिसके दो दिन बाद जनरल बाजवा नए सेना प्रमुख को कमान सौंपेंगे।