इस्लामाबाद: जेल में बंद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय में पेश होने से पहले एक मामला तैयार करने में कानूनी मदद मिलने में कठिनाइयों की शिकायत की। खान का मुख्य न्यायाधीश काजी फैज ईसा के साथ अदालत कक्ष में पहला संवाद था। खान भ्रष्टाचार विरोधी कानून में संशोधनों के एक मामले में वीडियो लिंक के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष पेश हुए थे।
पांच जजों की बेंच ने की सुनवाई
मुख्य न्यायाधीश ईसा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय बड़ी पीठ में न्यायमूर्ति अमीन-उद-दीन खान, न्यायमूर्ति जमाल खान मंडोखैल, न्यायमूर्ति अतहर मिनल्लाह और न्यायमूर्ति हसन अजहर रिजवी भी शामिल थे। उन्होंने राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) कानूनों में कुछ बदलावों को रद्द करने के खिलाफ सरकार द्वारा दायर अंतर-न्यायालय अपील (आईसीए) पर सुनवाई की।
इमरान खान ने कानूनों में बदलाव को दी थी चुनौती
इमरान खान ने पिछली सरकार द्वारा एनएबी कानूनों में किए गए बदलावों को चुनौती दी थी और शीर्ष अदालत ने पिछले साल सितंबर में उनकी याचिका स्वीकार कर ली थी। इसी के परिणामस्वरूप राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ सहित प्रमुख राजनेताओं के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार के दर्जनों मामले फिर से खोले गए थे। खान (71) रावलपिंडी की अडियाला जेल से मामले में वीडियो लिंक के माध्यम से याचिकाकर्ता के रूप में पेश हुए। उन्हें पिछले साल अगस्त में गिरफ्तार किया गया था और पहले एटक जेल में रखा गया तथा अब वह अडियाला जेल में हैं। इमरान खान पहली बार डिजिटल तरीके से न्यायाधीश के सामने पेश हुए। इन्हीं न्यायाधीश को खान ने प्रधानमंत्री रहते हुए अदालत से हटाने की कोशिश की थी।
इमरान ने इस बात पर जताया दुख
‘डॉन न्यूज’ ने बताया कि जब खान को बोलने की अनुमति दी गई तो मुख्य न्यायाधीश ईसा ने उनसे पूछा कि क्या वह स्वयं अपनी दलीलें पेश करना चाहेंगे या उनके वकील ख्वाजा हारिस उनकी ओर से बहस करेंगे। इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री ने अपनी दलीलें पेश करने के लिए 30 मिनट का समय मांगा। उन्होंने दुख जताते हुए कहा, "मुझे ना तो तैयारी के लिए सामग्री दी गई और ना ही वकीलों से मिलने की अनुमति दी गई। मैं एकांत कारावास में हूं।" इसके बाद न्यायमूर्ति ईसा ने इमरान को आश्वासन दिया कि उन्हें आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी तथा वकीलों से मिलने की भी अनुमति दी जाएगी। साथ ही चेतावनी दी कि यदि वह कानूनी टीम की सेवाएं मांगते हैं तो मामले में उनकी प्रत्यक्ष दलीलें नहीं सुनी जाएंगी। (भाषा)
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