Highlights
- अविश्वास प्रस्ताव से पहले इमरान खान का संबोधन
- सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जताई मायूसी, उठाए सवाल
- भारत की स्वतंत्र विदेश नीति की जमकर की तारीफ
इस्लामाबाद: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पाकिस्तान नेशनल असेंबली में अपने खिलाफ पेश होने वाले अविश्वास प्रस्ताव से कुछ घंटे पहले इमरान खान ने राष्ट्र के नाम संबोधन दिया। अपने संबोधन में इमरान खान ने कहा कि खुलेआम सांसदों की खरीद-फरोख्त हो रही है। इस दौरान इमरान ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मायूस हैं लेकिन उन्हें कोर्ट का निर्णय मंजूर है। खान ने पूछा कि सुप्रीम कोर्ट ने विदेशी साजिश की चिट्ठी क्यों नहीं देखी?
उन्होंने कहा कि ये 22 करोड़ लोगों की तौहीन है। पाकिस्तान में जो हुआ वो प्लान के तहत हुआ है। पाकिस्तान के लोकतंत्र का खुलेआम मजाक बनकर रह गया है। अपने संबोधन में इमरान ने कहा कि मैं किसी की कठपुतली नहीं बन सकता हूं। उन्होंने कहा कि मेरा कोई चोरी का पैसा विदेशी बैंको में नहीं है। विपक्ष पैसों के लिए मुल्की की कुरबानी देने को तैयार है।
राष्ट्र के नाम इमरान ने संबोधन में भारत की जमकर तारीफ की। खान ने कहा कि हिंदुस्तान एक खुद्दार देश है। उन्होंने कहा कि भारत की विदेश नीति स्वतंत्र है। इमरान ने कहा कि भारत के खिलाफ किसी सुपरपावर की जुर्रत नहीं है कि वो कुछ बोल दे। भारत रूस से तेल इम्पोर्ट कर रहा है लेकिन कोई उसे कुछ बोल नहीं सकता है।
इमरान खान ने कहा कि लोकतंत्र की रक्षा फौज नहीं कर सकती। इसके लिए खुद आवाम को आगे आना होगा और लोकतंत्र और सम्प्रभुता को बचाना होगा। इमरान खान ने अपने संबोधन में कहा कि पाकिस्तान में आयातित सरकार लाने की कोशिश हो रही है। उन्होंने लोगों से रविवार को सड़कों पर निकलने का आह्वान किया।
अपने संबोधन में इमरान ने कहा कि अमेरिका के डिप्लोमेट्स हमारे देश के लोगों से कुछ महीने पहले से मिल रहे हैं। हमारे लोगों ने बताया कि अमेरिका ने हमें बुलाया और कहा कि अविश्वास प्रस्ताव आने वाला है। ये पूरी स्क्रिप्ट चल रही थी। उन्होंने कहा कि 30 साल से शाहबाज शरीफ और अन्य लोग सत्ता में थे। मेरा सबसे बड़ा जुर्म ये है कि मैंने ड्रोन अटैक्स की मुखालफत की। उन्हें पता है कि इमरान खान के पास न कोई बैंक अकाउंट्स है और न ही बाहर किसी मुल्क में प्रॉपर्टी है। ये सारा ड्रामा मुझे हटाने के लिए है।
इमरान ने कहा कि विपक्ष अपने मुल्क की हर कुर्बानी देने को तैयार हैं। विपक्ष को लगता था कि कहीं अमेरिका न नाराज हो, इसलिए वे ऐसा कर रहे हैं, उन्हें डर है कि रूस की तरह उनकी प्रॉपर्टी भी जब्त न हो जाए।