Caretaker PM Imran Khan: इमरान ने असेंबली भंग कर दी और अब आने वाले समय में देश की जनता को चुनाव के लिए तैयार रहने को कहा है। यहां वो अविश्वास प्रस्ताव पर अपनी रणनीति में जरूर कामयाब होते नजर आ रहे हैं, लेकिन सियासत की पिच पर वो एक बड़ा रिकॉर्ड बनाते बनाते रह गए। जानिए क्या है वो रिकॉर्ड?
पाकिस्तान के इतिहास में कोई भी पीएम 5 साल तक शासन नहीं कर पाया है। इमरान अगस्त 2018 में पीएम बने थे। लेकिन वे प्रधानमंत्री के बतौर अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएंगे। चुनाव तक वो केयरटेकर पीएम ही रहेंगे। वहीं पाक मीडिया के अनुसार आगामी 90 दिन में चुनाव करा दिए जाएंगे। इससे पहले नवाज शरीफ भी 5 साल पूरे नहीं कर पाए थे।
नवाज शरीफ 6 नवंबर 1990 को पहली बार प्रधानमंत्री बने थे और 18 जुलाई, 1993 को उन्हें पद छोड़ना पड़ा था। फिर 17 फरवरी 1997 को वे दोबारा प्रधानमंत्री बने और 12 अक्टूबर 1999 तक प्रधानमंत्री रहे। तीसरी बार 5 जून 2013 को प्रधानमंत्री का पदभार संभाला लेकिन 28 जुलाई, 2017 को उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया था। पाकिस्तान के इतिहास में यह पहली बार हुआ जब कोई भी नेता तीन बार प्रधानमंत्री बना लेकिन तीनों बार अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सका।
पहले 10 साल में 7 प्रधानमंत्री बने
सिर्फ नवाज शरीफ ही नहीं, 70 साल के इतिहास में पाकिस्तान का एक भी प्रधानमंत्री अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है। आजादी के बाद पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री के रूप में लियाकत अली खान ने 14 अगस्त 1947 को शपथ ली थी। 16 अक्टूबर 1951 को खान की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इसके बाद 17 अक्टूबर 1951 को ख्वाजा नज़ीमुद्दीन प्रधानमंत्री बने लेकिन 17 अप्रैल 1953 को उन्हें अपना पद छोड़ना पड़ा। इसके पश्चात 17 अप्रैल 1953 को मोहम्मद अली बोगरा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने। वर्ष 1955 में गवर्नर जनरल ने उन्हें इस पद से हटा दिया। उनके बाद चौधरी मोहम्मद अली ने प्रधानमंत्री का पद संभाला। अली का जन्म जालंधर में हुआ था और वे सिविल सर्वेंट भी थे। करीब एक साल के बाद 1956 में उन्हें अपना पद छोड़ना पड़ा था। सन 1956 से लेकर 1958 के बीच चार लोग इस पद पर रहे। 1948 से लेकर 1958 के बीच सात प्रधानमंत्री बदले जा चुके थे. यानी औसत निकले जाए तो एक प्रधानमंत्री का कार्यकाल एक साल पांच महीने के करीब था।
जब सैनिक शासन की हुई शुरुआत
बंटवारे के बाद से ही पाकिस्तान के हालात ठीक नहीं रहे। पाकिस्तान के राजनेताओं पर कई आरोप लगाए जाते रहे। यह कहा जाता रहा कि पाकिस्तान के राजनेता देश से ज्यादा अपने फायदे को लेकर गंभीर थे। ऐसे में उस वक्त के पाकिस्तान के आर्मी कमांडर इन चीफ अयूब खान ने पाकिस्तान की राजनीति में हस्तक्षेप किया। वर्ष 1959 में आम चुनाव होने वाला था. “द डॉन” की एक खबर के अनुसार पाकिस्तान के सभी राजनेताओं ने इस चुनाव के लिए कमर कसना शुरू कर दी थी। राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्ज़ा और अयूब खान ने अपनी तरफ से कुछ प्लान शुरू कर दिए थे। 7 अक्टूबर 1958 की रात को आर्मी ने एयरपोर्ट, टेलीफोन बिल्डिंग,रेडियो स्टेशन और पोर्ट जैसी जगहों को अपने कब्ज़े ले लिया। राष्ट्रपति मिर्ज़ा ने सभी राजनैतिक दलों को अवैध घोषित कर दिया। जब लोग सुबह उठे तब पता चला कि देश में नागरिक शासन खत्म हो गया, सैनिक कानून लागू कर दिया गया है। कुछ दिन के बाद अयूब खान ने राष्ट्रपति मिर्ज़ा को लंदन भेज दिया। इसके बाद अयूब खान ही 1958 से लेकर 1969 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे।
ज़ुल्फिकार अली भुट्टो को दी गई फांसी
पाकिस्तान में धीरे-धीरे अयूब खान के खिलाफ लोग आवाज उठाने लगे। इतने दिन तक पाकिस्तान में नागरिक शासन न होने की वजह से अयूब खान पर अंतराष्ट्रीय दवाब भी था। साल 1970 में पाकिस्तान में आम चुनाव हुआ और 7 दिसंबर 1971 में नुरुल अमिन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने। हालांकि सिर्फ 13 दिन के बाद ही पाकिस्तान में फिर सैनिक शासन लागू हो गया और ज़ुल्फिकार अली भुट्टो ने राष्ट्रपति के रूप में 1973 तक पाकिस्तान पर शासन किया। इसके बाद 14 अगस्त 1973 को पाकिस्तान में फिर से लोकतांत्रिक शासन लागू कर दिया गया। भुट्टो राष्ट्रपति का पद छोड़कर खुद प्रधानमंत्री बन गए। वर्ष 1977 में पाकिस्तान के आर्मी चीफ मोहम्मद जिया उल हक ने भुट्टो को हटाकर देश में सैनिक शासन लागू कर दिया। बाद में 1979 में भुट्टो को फांसी दी गई।
बेनज़ीर भुट्टो बनीं पाकिस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री
सन 1977 में पाकिस्तान में फिर मिलिट्री शासन लागू हो गया और 1985 तक चला। वर्ष 1985 में आम चुनाव हुआ। मोहम्मद खान जुनेजो प्रधानमंत्री चुने गए। साल 1988 में जुनेजो को प्रधानमंत्री के पद से हटा दिया गया। इसके बाद 1988 में फिर आम चुनाव हुआ और जुल्फिकार अली भुट्टो की बेटी व पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की नेता बेनजीर भुट्टो प्रधानमंत्री बनीं। बेनज़ीर पाकिस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं। बेनजीर के लिए प्रधानमंत्री बनना बहुत बड़ी बात थी। दो साल बाद 1990 में पाकिस्तान में फिर आम चुनाव हुए। इस चुनाव में भुट्टो की पार्टी की हार हुई और पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) को सबसे ज्यादा सीटें मिलीं। नवाज़ शरीफ प्रधानमंत्री चुने गए। साल 1993 में नवाज शरीफ को इस्तीफा देना पड़ा और फिर आम चुनाव हुए. इस चुनाव में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी को ज्यादा सीटें मिलीं और बेनजीर भुट्टो दोबारा प्रधानमंत्री बनीं।