Highlights
- हाइपरसोनिक स्पीड से दौड़ सकती है
- सूअर तुरंत नहीं मारा लेकिन उनके शरीर पर गंभीर चोटें आई
- साधारण गोलियां 1.2 किमी प्रति सेकेंड की रफ्तार से चलती हैं
Hypersonic Bullet: दुनिया में चीन डिफेंस के मामले में सभी देशों को पिछे छोड़ रहा है। चीन ऐसे कई प्रोजक्ट पर काम कर रहा है जिसे आने वाले समय किसी देश के पास इस तरह के हथियार देखने को नहीं मिलेगी। चीन ध्वनि की गति से पांच गुना यानी हाइपरसोनिक गति से चलने वाली मिसाइल और इंजन पर काम कर रहा है लेकिन अब चीन ने अपने हाइपरसोनिक प्रोजेक्ट के आकार को कम करने का फैसला किया है। अब चीन ऐसी बुलेट बना रहा है जो हाइपरसोनिक स्पीड से दौड़ सकती है। चीन ने हाल ही में एक ऐसी ही नैनो सेकंड में जान लेनी वाली गोली का परीक्षण किया है।
गोली चलने से सूअर हुए थे बेहोश
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने बताया कि चोंगकिंग में एक आर्मी मेडिकल सेंटर के शोधकर्ताओं ने हाल ही में 5 मिमी स्टील प्रोजेक्टाइल दागे, जो 11मच यानी 13582.8 किलोमीटिर की रफ्तार से जिदें सूअरों पर दागे गए। गोली चलने के दौरान सूअर बेहोश हो गए थे। गोली का इंसानों पर क्या असर होगा, यह जानने के लिए सूअर पर गोली चलाई गई। 11 मच को समझने के लिए यह ध्वनि की गति से 11 गुना अधिक है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट ने चाइना ऑर्डनेंस सोसाइटी के एक्टा आर्मामेंटरी पीयर-रिव्यू जर्नल में एक पेपर का हवाला देते हुए कहा कि जांघ में गोलियां चलाई गईं, इतने सूअर तुरंत नहीं मारा लेकिन उनके शरीर पर गंभीर चोटें आई। उन्होंने आंतरिक क्षति जैसे हड्डी के फ्रैक्चर और आंत, फेफड़े पूरी तरह से खत्म हो गए थे।
प्रति सेकंड 4 किमी तक की गति
इसी रिपोर्ट में बताया गया कि गोलियां 1 किमी से 3 किमी प्रति सेकेंड की रफ्तार से जांघ में घुस जाती है लेकिन जब यह गति 4 किमी प्रति सेकंड हो जाती है तो गोली जहां घुसती है उस जगह पर एक बड़ा घाव बन जाता है। आपको बता दें कि साधारण गोलियां 1.2 किमी प्रति सेकेंड की रफ्तार से चलती हैं। हाइपरसोनिक गति से चलने वाली गोलियां अपने गलनांक तक पहुंच जाती हैं, यानी वे लक्ष्य के रास्ते में पिघल जाती हैं। इससे गोलियों की निशाने पर लगने की क्षमता कम हो जाती है।
गड्ढा जैसा घाव
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने बताया कि लक्ष्य के संपर्क में आने पर गोलियां जलती हुई दिखाई देती है, जो टक्कर के दौरान जबरदस्त ऊर्जा के साथ निकलती है लेकिन उच्च तापमान के कारण वे पिघल जाते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन पिघली गोलियों ने धरती पर उल्कापिंड गिरने से बने गड्ढे के समान गोला बना दिया। जब मांस से टक्काराती है तो गोली और मांस दोनों को लिक्विड फॉर्म में बदल जाती है। इस परीक्षण के छह घंटे बाद सूअर मर गए थे।
पीएलए ने दी परियोजना को फंडिंग
रिपोर्ट में चीनी शोधकर्ताओं ने कहा कि साबुन से बने लक्ष्य भी हाइपरसोनिक प्रभावों को दोहरा सकते हैं लेकिन फिर भी जानवरों के सिर, छाती और पेट जैसे अन्य महत्वपूर्ण अंगों को पूरी तरह से बर्बाद करने की आवश्यकता है साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने कहा कि पीएलए के पास हाइपरसोनिक हथियार विकसित करने की कोई खुली रिपोर्ट नहीं है। हालांकि पीएलए की ओर से हाइपरसोनिक स्पीड बुलेट के उत्पादन से जुड़े प्रोजेक्ट को फंडिंग दी गई है।
क्या समस्या हो सकती है?
हालांकि इस तरह का हथियार बनाना काफी चुनौतीपूर्ण होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्हें सामान्य बंदूकों से नहीं चलाया जा सकता है। क्योंकि वह इतनी तेज गति से गोलियां चलाने में सक्षम नहीं है। अगर वह इस गति से गोली चलाता है, तो बैरल फट सकता है। इनके लिए रेलगन का इस्तेमाल किया जा सकता है। पारंपरिक हथियारों मेंगोलियों को बारूद से दागा जाता है लेकिन रेल गन को विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा का उपयोग करके दागा जा सकता है।