Highlights
- झाओ ने कहा, मैं आपको बता सकता हूं कि फिलहाल चीन और भारत के बीच सीमा पर स्थिति सामान्य तौर पर स्थिर है।
- सोमवार को विदेश मंत्री वांग ने कहा था कि चीन और भारत ने ‘राजनयिक एवं सैन्य माध्यमों से संवाद बनाए रखा है।
- पेंगोंग झील क्षेत्रों में हिंसक झड़प के बाद पिछले साल भारत और चीन की सेनाओं के बीच सीमा गतिरोध शुरू हो गया था।
बीजिंग: चीन-भारत सीमा पर स्थिति ‘आमतौर पर स्थिर’ है और दोनों पक्ष पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के बाद सीमा पर स्थिति को सामान्य करने के लिए राजनयिक और सैन्य माध्यमों के जरिए संवाद एवं संचार बनाए हुए हैं। चीन के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को यह जानकारी दी। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजान ने ये टिप्पणियां भारत-चीन सीमा पर मौजूदा स्थिति पर चीन के नजरिए के बारे में और विदेश मंत्री वांग यी की सोमवार की टिप्पणी के बार दोनों देशों के बीच संवाद की प्रगति को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में की।
‘चीन ने टकराव को प्रभावी तरीके से प्रबंधित एवं नियंत्रित किया’
वांग यी ने कहा था कि चीन ने कुछ सीमाई क्षेत्रों में ‘टकराव को प्रभावी तरीके से प्रबंधित एवं नियंत्रित’ किया है। झाओ ने कहा, ‘मैं आपको बता सकता हूं कि फिलहाल चीन और भारत के बीच सीमा पर स्थिति सामान्य तौर पर स्थिर है।’ उन्होंने पूर्वी लद्दाख में लंबे वक्त तक चले सैन्य गतिरोध का प्रत्यक्ष तौर पर संदर्भ दिए बिना कहा, ‘सीमा पर स्थिति को तनावमुक्त बनाने की दिशा में काम करने के लिए दोनों पक्ष राजनयिक एवं सैन्य माध्यमों से संवाद और संचार बनाए हुए हैं।’
सैन्य गतिरोध से दोनों देशों के संबंधों में भी ठहराव आ गया था
सोमवार को विदेश मंत्री वांग ने कहा कि चीन और भारत ने ‘राजनयिक एवं सैन्य माध्यमों से संवाद बनाए रखा है, और द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने और विकसित करने के लिए साझा प्रतिबद्धता के तहत कुछ सीमा क्षेत्रों में टकराव को प्रभावी ढंग से प्रबंधित और नियंत्रित किया है।’ पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों के बीच जारी सीमा विवाद के बीच वांग का यह बयान आया है। पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध से दोनों देशों के संबंधों में भी ठहराव आ गया था।
दोनों देशों की सेनाओं के बीच पिछले साल शुरू हुआ गतिरोध
पेंगोंग झील क्षेत्रों में हिंसक झड़प के बाद पिछले साल 5 मई को भारत और चीन की सेनाओं के बीच सीमा गतिरोध शुरू हो गया था और दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे हजारों सैनिकों के साथ-साथ भारी हथियारों को लेकर अपनी तैनाती बढ़ा दी थी। कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक वार्ता के बाद, दोनों पक्षों ने अगस्त में गोगरा क्षेत्र में और फरवरी में पेंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण तट पर सैनिकों एवं हथियारों के पीछे हटने की प्रक्रिया पूरी की।