Highlights
- श्रीलंका ने इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के लिए चीन से कर्ज लिया था
- चीन से आसान कर्ज भी इसके लिए मुसीबत बन गया है
- चीन से अब वह फिर 2.5 अरब डॉलर का कर्ज लेने की तैयारी कर रहा है
नई दिल्ली: चीन के कर्ज को चुकाते-चुकाते श्रीलंका की कमर टूट गई है। चीन के हाथों अपना हंबनटोटा द्वीप पहले ही गंवा चुके श्रीलंका पर बैंकरप्ट यानि दीवालिया होने का खतरा पैदा हो गया है। देश में विदेशी मुद्रा भंडार एक दशक के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है। चीन का श्रीलंका पर 5 अरब डॉलर से अधिक कर्ज है। पिछले साल उसने देश में वित्तीय संकट से उबरने के लिए चीन से और 1 अरब डॉलर का कर्ज लिया था। अगले 12 महीनों में देश को घरेलू और विदेशी लोन के भुगतान के लिए करीब 7.3 अरब डॉलर की जरूरत है। जनवरी में 50 करोड़ डॉलर के इंटरनैशनल सॉवरेन बॉन्ड का भुगतान किया जाना है। नवंबर तक देश में विदेशी मुद्रा का भंडार महज 1.6 अरब डॉलर था।
श्रीलंका ने जिन इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के लिए चीन से कर्ज लिया था, उनमें से कुछ फंस गए। दक्षिणी श्रीलंका के हम्बनटोटा में बंदरगाह बनाने के लिए श्रीलंका ने चीन से 1.4 अरब डॉलर का कर्ज लिया था लेकिन वह कर्ज चुका नहीं पाया। आखिरकार 2017 में एक चीनी कंपनी को इसे 99 साल की लीज पर सौंप दिया गया। चीन से आसान कर्ज भी इसके लिए मुसीबत बन गया है। श्रीलंका की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं हो पा रही है कि वह चीन का कर्ज चुका सके। चीन से अब वह फिर 2.5 अरब डॉलर का कर्ज लेने की तैयारी कर रहा है।
दुनिया भर के विशेषज्ञ जब चीन की कर्ज जाल नीति के बारे में बताते हैं, तो श्रीलंका को उसमें नजीर के तौर पर शामिल किया जाता है। इसके अलावा श्रीलंका ने भारत और जापान जैसे देशों और आईएमएफ जैसे संस्थानों से भी कर लिया हुआ है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, श्रीलंका के ऊपर अप्रैल 2021 तक कुल 35 बिलीयन डॉलर का विदेशी कर्ज था।
वहीं, आर्थिक तंगी और भोजन की किल्ल्त होने के कारण श्रीलंका के जाफना और मन्नार क्षेत्र से श्रीलंकाई तमिलों के जत्थे तमिलनाडु पहुंचने लगे हैं। बढ़ती बेरोजगारी, आर्थिक तंगी और भोजन की कमी होने से आने वाले समय में श्रीलंका के उत्तर में स्थित जाफना प्रायद्वीप और मन्नार क्षेत्र से और श्रीलंकाई तमिलों का पलायन हो सकता है। अधिकारियों के अनुसार आने वाले हफ्तों में लगभग 2000 शरणार्थियों के भारत आने की सम्भावना है।
वर्तमान में श्रीलंका में चावल और शक्कर 290 रूपए प्रति किलो बिक रहा है। 400 ग्राम के दूध पाउडर की कीमत 790 रूपए है। पिछले तीन दिनों में दूध पाउडर की कीमत में 250 रूपए की तेजी आई है। श्रीलंकाई सरकार ने पेपर की कमी के कारण स्कूल परीक्षाओं को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया है। इसे देखते हुए आने वाले समय में और अधिक शरणार्थियों के भारत पलायन करने की सम्भावना है।