Pakistan News: भारत और पाकिस्तान एक साथ आजाद हुए। लेकिन बंटवारे के बाद कई ऐसे हिंदू मंदिर पाकिस्तान में हैं, जहां बरसों से धार्मिक उत्सव मनते आ रहे हैं। इन्हीं में से एक है बलूचिस्तान में स्थित प्रसिद्ध हिंगलाज माता का उत्सव। इस उत्सव की परंपरा काफी पुरानी है। इस उत्सव में पाकिस्तान में रहने वाले हिंदुओं के साथ ही भारत और दूसरे देशों के हिंदुओं ने भी हिस्सा लिया। कोरोना महामारी के कारण दो साल तक यह उत्सव नहीं हो सका था, लेकिन इस बार दो साल के विराम के बाद यह उत्सव फिर आयोजित हुआ। इस उत्सव में भारत व अन्य देशों के श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
बलूचिस्तान में लासबेला जिले के कुंड मलिर क्षेत्र में स्थित प्राचीन मंदिर को हिंदू सभ्यता के सबसे बड़े तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है। यह दुनियाभर के पांच प्राचीन हिंदू मंदिरों में से एक है। बलूचिस्तान के सीनेटर दानेश कुमार ने कहा, ‘हमने पिछले साल और इस साल भी त्योहार के लिए हिंदू तीर्थयात्रियों की बड़ी भीड़ देखी, क्योंकि यह कोविड महामारी के कारण दो साल तक आयोजित नहीं हो सका था।‘
तीन दिन के उत्सव मेले में पहुंचे भारतीय श्रद्धालु
उन्होंने कहा कि सैकड़ों हिंदू विदेशों से भी आए और कुछ भारत से भी इस तीन दिन के धार्मि उत्सव के लिए पहुंचे। कुमार ने कहा, ‘मकरान तटीय राजमार्ग के माध्यम से शहरी पाकिस्तान से जुड़ने के बाद ऐतिहासिक मंदिर तक अब आसानी से पहुंचा जा सकता है। पहले, भक्तों के लिए मंदिर तक पहुंचना बहुत मुश्किल हुआ करता था क्योंकि यह किर्थर पर्वत श्रृंखला की तलहटी में है।‘ उन्होंने कहा कि बलूचिस्तान सरकार ने अशांत प्रांत में तीर्थयात्रियों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए कम से कम 1000 पुलिसकर्मियों और फ्रंटियर कोर के जवानों को तैनात किया। यह उत्सव सोमवार को संपन्न हुआ।