भारत में लगातार बिछ रहे इन्फ्रास्ट्रक्चर के जाल ने दुनिया के तमाम देशों को निवेश के लिए आकर्षित किया है। वर्तमान समय में भारत दुनिया की सबसे तेज आर्थिक विकास दर वाला देश बना हुआ है। साथ ही भारत अपार संभावनाओं का देश है। वैश्विक मंदी, युद्ध, महामारी के दंश के बीच दुनिया में सिर्फ भारत ही लोगों का भरोसा है। अन्य देशों की स्थिति डवांडोल हो रही है। अमेरिका जैसे देश भी कर्ज में डूबे हैं तो वहीं ब्रिटेन और यूरोप महंगाई की मार झेल रहे हैं। ऐसे में भारत की बुलंदी दुनिया को अपनी ताकत का एहसास करा रही है। यही वजह है कि जर्मनी का भी भारत में निवेश पर दिल आ गया है।
इन दिनों जर्मन वाइस चांसलर और आर्थिक मामलों के मंत्री "रॉबर्ट हैबेक भारत दौरे पर हैं। देश में सुरक्षित निवेश की असीम संभवानाएं देखने के बाद राबर्ट भारत में निवेश के लिए फिदा हो गए हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत और जर्मनी के बीच द्विपक्षीय संबंधों के लिए ‘नये अवसरों’ पर ध्यान केंद्रित करते हुए बृहस्पतिवार को वहां के वाइस चांसलर रॉबर्ट हैबेक से "सार्थक" बातचीत की। जयशंकर ने एक ट्वीट में कहा कि उन्होंने और हैबेक ने यूक्रेन संघर्ष और हिंद-प्रशांत की स्थिति पर भी अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा, "नयी दिल्ली में जर्मन वाइस चांसलर रॉबर्ट हैबेक का स्वागत करते हुए खुशी हो रही है।
जर्मन वाइस चांसलर ने द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने और निवेश पर किया फोकस
अपनी इस यात्रा के दौरान जर्मन वाइस चांसलर ने भारत के साथ द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने और निवेश पर पूरा फोकस किया है। दोनों नेताओं के बीच भारत-जर्मनी सहयोग के कई नये अवसरों पर सार्थक चर्चा हुई।" जयशंकर ने कहा, "रॉबर्ट हैबेक के साथ यूक्रेन संघर्ष और हिंद-प्रशांत की स्थिति पर भी चर्चा हुई।" हैबेक, जर्मनी के आर्थिक मामलों के साथ जलवायु मंत्री भी हैं। वह भारत की तीन-दिवसीय यात्रा पर हैं। उनके साथ एक उच्च पदस्थ अधिकारी और एक व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल भी भारत दौरे पर है, जिसमें जर्मनी की कंपनियों के शीर्ष अधिकारी भी शामिल हैं। हैबेक ने कहा कि भारत और जर्मनी द्विपक्षीय सहयोग को और मजबूत करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि हम भारतीय और जर्मन कंपनियों के बीच निवेश एवं सहयोग को बढ़ाना चाहते हैं। (भाषा)
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