दुनिया की 20 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के नेता इंडोनेशिया के बाली में एकत्रित हुए हैं। यहां जी-20 शिखर सम्मेलन की शुरुआत हो चुकी है। सम्मेलन रूस-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक आर्थिक संकट के बीच हो रहा है। यूक्रेन में जंग शुरू होने के बाद ऐसा पहली बार होगा, जब दोनों देशों यानी रूस और यूक्रेन के नेता किसी एक मंच पर मौजूद रहेंगे। इस बीच सभी देशों की नजर भारत पर भी रहेगी। इसके पीछे का एक बड़ा कारण ये भी है कि बाली सम्मेलन के बाद इस प्रभावशाली संगठन का नेतृत्व इंडोनेशिया से भारत को दे दिया जाएगा। जानकारों के मुताबिक यह भारत के वैश्विक नेतृत्व और भारतीय विदेश नीति के लिए बेहद अहम अवसर साबित होगा। साथ ही दुनिया को यह संदेश जाएगा कि भारत वैश्विक परिदृश्य में एक बड़े खिलाड़ी के रूप में उभर रहा है।
भारत ने कोरोना वायरस महामारी के समय अमीर-गरीब सभी देशों की मदद की। उसने रूस और यूक्रेन युद्ध के समय भी संतुलन बनाए रखा। इसके साथ ही भारत ने वैश्विक आर्थिक संकट और जलवायु परिवर्तन के मुद्दों का भी बेहतरी से सामना किया। वहीं जी-20 सार्वजनिक नीतियों को चुनौतियों का समाधान करने के लिए तैयार करता है। जी-20 में शामिल देशों की दुनिया की कुल जीडीपी में 85 फीसदी हिस्सेदारी है। यह विश्व व्यापार का 75 फीसदी और दुनिया की आबादी का दो-तिहाई हिस्सा है। इनमें से 15 देश ऐसे हैं जिनका रक्षा बजट अरबों डॉलर का है। दुनिया के नौ परमाणु-सशस्त्र देशों में से छह जी-20 के सदस्य हैं। ये देश दुनिया की 60 फीसदी जमीन के मालिक हैं। जी-20 समझौते भले ही बाध्यकारी न हों, लेकिन विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं कि विभिन्न देशों की नीतियों पर इसका बहुत प्रभाव पड़ता है और वैश्विक सहयोग बढ़ता है।
1999 में की गई थी स्थापना
जी-20 संगठन की कल्पना साल 1999 में मेक्सिको में पेसो संकट (1994) और रूस में रूबल संकट (1998) के बाद की गई थी। इसके बाद जी-7 देशों ने फैसला किया कि इस संगठन का विस्तार किया जाएगा और अधिक देशों को शामिल किया जाएगा। यह संगठन ऐसी नीतियां बनाएगा जिनका वैश्विक अर्थव्यवस्था पर अधिक प्रभाव पड़ेगा। उभरती अर्थव्यवस्थाओं के एक समूह को तब वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के अध्यक्षों के मंच में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था। यह जी-20 बन गया। बाद में इसे शिखर सम्मेलन के स्तर में बदल दिया गया।
इंडोनेशिया के बाद भारत करेगा अध्यक्षता
इस सम्मेलन के बाद भारत इसकी अध्यक्षता इंडोनेशिया से लेगा। भारत का कार्यकाल 1 दिसंबर, 2022 से शुरू होगा। पीएम मोदी ने जी-20 के लोगो का अनावरण करते हुए हाल ही में कहा था, 'भारत यह अध्यक्षता ऐसे समय में ले रहा है जब दुनिया में संकट है और अराजकता की स्थिति है। दुनिया इस समय सदी में एक बार आने वाली महामारी से जूझ रही है। इसके अलावा, अभी चल रहे संघर्ष और व्यापक आर्थिक अनिश्चितता हैं। कोरोना महामारी और अब रूस-यूक्रेन युद्ध का वैश्विक प्रभाव पड़ा है। इससे खाद्यान्न, उर्वरक, ऊर्जा, कर्ज, आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान जैसे संकट पैदा हो गए हैं।
भारत ने कैसी तैयारी की है?
भारत अपनी अध्यक्षता के दौरान 'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य' के सिद्धांत पर काम करेगा। यह भारत के 'वसुधैव कुटुम्बक' के सिद्धांत पर आधारित है। भारत यह सुनिश्चित करेगा कि जी20 वित्तीय और आर्थिक चुनौतियों से निपटने के अपने मुख्य मिशन पर बना रहे। साथ ही, रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे भू-राजनीतिक मुद्दों को व्यापक एजेंडे को प्रभावित न करने दें। भारत ने घोषणा की है कि G20 की अध्यक्षता के दौरान देश भर में 200 कार्यक्रम होंगे। भारत ने बांग्लादेश, मिस्र, मॉरीशस, नीदरलैंड, ओमान, सिंगापुर और संयुक्त अरब अमीरात को 'अतिथि देशों' के रूप में आमंत्रित किया है। अगर भारत साल भर अच्छा कार्यक्रम करता है तो इससे देश का मान बढ़ेगा और दुनिया में इसका प्रभाव भी बढ़ेगा। भारत के बाद, ब्राजील नवंबर 2023 में जी-20 की अध्यक्षता करेगा।