नई दिल्लीः रूस-यूक्रेन युद्ध के 1 वर्ष पूरे हो चुके हैं। इसके बावजूद पुतिन की सेना यूक्रेन पर विजय हासिल नहीं कर सकी है। राष्ट्रपति जेलेंस्की के नेतृत्व में यूक्रेनी सेना सोवियत संघ रूस से जमकर लोहा लेती आ रही है। यूक्रेन को पस्त करने के लिए इस 1 वर्ष में पुतिन ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी, लेकिन अमेरिका और यूरोप कीव के लिए ऐसे मजबूत पिलर बन गए कि रूसी सेना अब तक जीत के लिए संघर्ष कर रही है। गत 1 वर्ष के दौरान रूस की चौतरफा घेराबंदी करने के लिए अमेरिका और यूरोप ने मिलकर उस पर इतने अधिक प्रतिबंध लगा दिए कि पुतिन का दम घुटने लगा। इसके बावजूद रूस ने अब तक जीत की जिद नहीं छोड़ी है। यही वजह है कि अब जी7 देशों ने मिलकर रूस पर ऐसा "ब्रह्मफांस" लगा दिया है कि जिससे उबर पाना आसान नहीं होगा। हालांकि राष्ट्रपति पुतिन ने अभी से इस बड़ी समस्या का मुकाबला करने के लिए समाधान रूपी "संजीवनी" की तलाश शुरू कर दी है।
जापान ने रूस पर कड़े प्रतिबंध को दी मंजूरी
जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के साथ जी7 में शामिल अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने रूस को पस्त करने के लिए अतिरिक्त पाबंदियां लगाने की मंजूरी दे दी है। अभी तक रूस के कच्चे तेल पर प्राइस कैप समेत उसके अन्य सामानों की खरीद-बिक्री पर दर्जनों प्रतिबंध लगाए जा चुके हैं। कई रूसी संस्थाओं और प्रतिनिधियों पर प्रतिबंध के चलते रूस की आर्थिक कमर तोड़ने की पूरी कोशिश यूक्रेन पर 1 वर्ष पहले हमले के बाद ही शुरू कर दी गई थी। यह बात अलग है कि इन सबके बावजूद पुतिन के हौसले को न तो अमेरिका डिगा सका और न ही यूरोप। अब जी 7 देशों ने रूस-यूक्रेन युद्ध के एक साल पूरा होने पर आयोजित ऑनलाइन सम्मेलन के दौरान रूस पर अतिरिक्त पाबंदियां लगाने को मंजूरी दे दी है। इससे रूस की मुश्किलें और अधिक बढ़ सकती हैं।
रूसी संगठनों की संपत्तियां होंगी जब्त
जी 7 के अध्यक्ष के तौर पर जापान ने रूस पर सबसे कड़े आर्थिक प्रतिबंधों को लगाने की घोषणा की है। इसके अनुसार रूस के करीब 120 संगठनों और व्यक्तियों की संपत्तियों को भी जब्त करने को मंजूरी दी गई है। इसमें सैन्य उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किए जा सकने वाले ड्रोन व अन्य सामग्रियों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाना भी शामिल है। इससे रूस के लिए व्यापार समेत अन्य कारोबार करना और अधिक परेशानी भरा हो जाएगा। जापान ने कहा कि जी7 नेताओं ने यूक्रेन के लिए सैन्य, वित्तीय और राजनयिक समर्थन जारी रखने का फैसला लिया है। साथ ही रूस पर पाबंदियां बढ़ाने और युद्ध की वजह से दुनिया के सबसे कमजोर लोगों पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव का मुकाबला करने की प्रतिबद्धता दोहराई है। जी 7 समूह में जापान के साथ कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं।
पीएम मोदी बनेंगे रूस के लिए संकटमोचक
रूस पर इतने कड़े प्रतिबंध लगाने का मकसद है कि उसकी अर्थव्यवस्था का दम घुटने लगे। ताकि पुतिन यूक्रेन से और अधिक समय तक युद्ध लड़ने के फैसले को बदल दें और इसे तत्काल रोक दें। मगर रूस को अपने हनुमान "भारत और पीएम मोदी" पर पूरा भरोसा है। रूस को उम्मीद है कि जिस तरह से भारत ने पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद उससे कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस लेना जारी रखा है। साथ ही विभिन्न मोर्चों पर संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ होने वाले अपने मतदान में पुतिन का अप्रत्यक्ष रूस से साथ देना जारी रखा है, ठीक उसी प्रकार नए प्रतिबंधों के बावजूद भारत रूस को सहयोग करता रहेगा। रूस को भारत के साथ अन्य व्यापार भी बढ़ने की उम्मीद है। ताकि उसकी अर्थव्यवस्था को जो नुकसान पश्चिमी और यूरोपीय देशों से हो, उसकी भरपाई भारत से हो सके। पुतिन जानते हैं कि भारत सबसे बड़ा उपभोक्ता है। यह अकेले रूस को होने वाले अन्य देशों के नुकसान की भरपाई करने की क्षमता रखता है। इसीलिए पुतिन पीएम मोदी को हनुमान के रूप में देख रहे हैं।
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