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भारत के "डिफेंस कोरिडोर" पर फिदा हुआ फ्रांस, अब दुनिया देखेगी जलवा

France Keen to Participate in India's Defense Industries: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत की महत्वाकांक्षी परियोजना ने रक्षा के क्षेत्र में भी भारत को गजब की स्पीड दे दी है। अब भारत डिफेंस कोरिडोर पर भी सैन्य साजो-सामान और युद्धक उपकरणों के निर्माण की ओर तेजी से कदम बढ़ा चुका है।

Written By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: January 23, 2023 6:36 IST
प्रतीकात्मक फोटो- India TV Hindi
Image Source : PTI प्रतीकात्मक फोटो

France Keen to Participate in India's Defense Industries: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत की महत्वाकांक्षी परियोजना ने रक्षा के क्षेत्र में भी भारत को गजब की स्पीड दे दी है। अब भारत डिफेंस कोरिडोर पर भी सैन्य साजो-सामान और युद्धक उपकरणों के निर्माण की ओर तेजी से कदम बढ़ा चुका है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के अनुसार आज का भारत अपनी सैन्य जरूरतें पूरी करने के साथ ही साथ दुनिया के 75 देशों को सैन्य उपकरणों की सप्लाई कर रहा है। भारत की इसी ताकत को देखते हुए फ्रांस भी फिदा हो गया है। वह भारत में रक्षा उद्योगों के लिए आधार बनाने की प्रक्रिया में भागीदार बनना चाहता है। इससे भारत को फ्रांस की अत्याधुनिक तकनीकि भी मिल जाएगी। तब डिफेंस के क्षेत्र में भारत का जलवा और भी बढ़ जाएगा।

फ्रांस के राजदूत इमैनुएल लेनेन ने कहा है कि उनका देश भारत में रक्षा उद्योगों के लिए एक राष्ट्रीय औद्योगिक आधार बनाने की प्रक्रिया में भागीदार बनना चाहता है। गोवा अपतटीय क्षेत्र में भारत-फ्रांस नौसैन्य अभ्यास ‘वरुण’ में हिस्सा लेने वाले फ्रांसीसी विमानवाहक पोत चार्ल्स डी गॉल पर शनिवार को संवाददाताओं से मुखातिब लेनेन ने कहा कि दोनों देश रक्षा और अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए बहुत से उपकरणों का मिलकर उत्पादन कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि फ्रांस वास्तव में ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण को समझ गया है और वह बिना किसी प्रतिबंध के भारतीय बलों को सर्वश्रेष्ठ तकनीक उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है।

फ्रांसीसी तकनीकियों से लैस होगा देश का रक्षा उद्योग

फ्रांस के राजदूत लेनेन ने कहाकि हम आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को इसलिए भी समझते हैं कि हम अत्यधिक स्वतंत्र देश हैं और हम उस प्रक्रिया से भी गुजरे हैं। हम भारत में रक्षा उद्योगों के लिए एक राष्ट्रीय औद्योगिक आधार बनाने की प्रक्रिया में भागीदार बनना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि भारत जब और आपूर्तिकर्ताओं को मौका देने के बारे में सोच रहा है, तो फ्रांस उसके लिए एक बढ़िया विकल्प साबित हो सकता है। फ्रांसीसी राजदूत ने कहा कि उनका देश बिना किसी प्रतिबंध के भारतीय बलों को सर्वोत्तम तकनीक उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, “फ्रांस न केवल ‘मेक इन इंडिया’ के लिए समर्थन करेगा, बल्कि उपकरणों के सह-निर्माण और सह-उत्पादन के लिए भी आगे आएगा।

भारत और फ्रांस के संबंधों को मिलेगी मजबूती
दोनों देशों के बीच संबंधों के बारे में पूछे जाने पर लेनेन ने कहा, “भारत और फ्रांस के बीच असाधारण रूप से अच्छे और विश्वसनीय द्विपक्षीय संबंध हैं। हम समान मूल्यों में यकीन करते हैं। हमारी रणनीतिक स्वायत्तता को मजबूत बनाने का सबसे अच्छा तरीका एक-दूसरे का सहयोग करना है। दोनों देश रक्षा और अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए बहुत सारे उपकरणों का सह-उत्पादन कर सकते हैं।” पणजी में 16 जनवरी को शुरू हुआ भारत-फ्रांस नौसैन्य अभ्यास ‘वरुण’ शुक्रवार को समाप्त हो गया। फ्रांसीसी नौसेना के एक अधिकारी ने कहा था कि यह संयुक्त अभ्यास हिंद प्रशांत क्षेत्र में भारत और फ्रांस के बीच उत्कृष्ट नौसैन्य सहयोग का उदाहरण है, जिसमें जहाजों, युद्ध पोतों और हेलीकॉप्टरों के साथ-साथ एक फ्रांसीसी कमान ने दोनों नौसेनाओं की युद्धक क्षमताओं को बढ़ाने संबंधी कई प्रशिक्षण सत्रों में हिस्सा लिया।

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