पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान सोमवार को तोशाखाना में सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। इमरान ने भ्रष्टाचार से जुड़े मुकदमे में उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की है। दरअसल इस मामले में उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगाने वाली याचिका को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था। इसके बाद वह हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय पहुंचे हैं। बता दें कि बीती 9 मई को इमरान खान इसी मामले में एक बार जेल भी जा चुके हैं, जिसके बाद से उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं। इमरान पर भ्रष्टाचार समेत, आतंक, हत्या, लूट समेत कई धाराओं में मुकदमा चल रहा है। सैन्य अदालत में भी उनके खिलाफ मुकदमे की सुनवाई चल रही है।
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) प्रमुख खान ने दो बार इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (आईएचसी) में याचिका दायर की, लेकिन राजकीय उपहारों के बारे में विवरण छिपाने से संबंधित इस मामले में उन्हें राहत नहीं मिल सकी। ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ अखबार की खबर के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष अपनी याचिका में इमरान ने धारा 342 के तहत उनके बयानों को दर्ज करने पर रोक लगाने की अपील की है। याचिका में मांग की गई है कि जिला एवं सत्र न्यायाधीश हुमायूं दिलावर के समक्ष चल रहे मुकदमे को तब तक रोक दिया जाए जब तक उच्च न्यायालय इस मामले पर अपना अंतिम फैसला नहीं सुना देता। इसमें यह भी कहा गया कि मुकदमा आगे बढ़ने से पहले अदालत के क्षेत्राधिकार पर निर्णय आवश्यक था।
न्यायालय ने स्वीकार की याचिका
बैरिस्टर गौहर अली खान के नेतृत्व वाली पीटीआई प्रमुख की कानूनी टीम ने इमरान की ओर से सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष यह याचिका दायर की है। न्यायालय ने उनकी इस याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है। तोशाखाना कैबिनेट प्रभाग के प्रशासनिक नियंत्रण वाला विभाग है, जहां अन्य देशों की सरकारों एवं राष्ट्र प्रमुखों द्वारा पाकिस्तानी शासकों, सांसदों, नौकरशाहों और अधिकारियों को दिए गए उपहारों को रखा जाता है। खान पर 2018 से 2022 के बीच प्रधानमंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान पद का दुरुपयोग कर इन उपहारों को खरीदने और बेचने का आरोप है। इन उपहारों की कीमत 14 करोड़ रुपये (6,35,000 अमेरिकी डॉलर) से अधिक है। (भाषा)
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