G-20 के बाद भारत और चीन के विदेश मंत्री दो माह में दूसरी बार शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में मिले हैं। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर असुरक्षा और अशांति भारत के लिए प्रमुख मुद्दा है। दोनों ही बार भारत ने सीमा पर सुरक्षा और शांति का मुद्दा उठाया। गोवा में मौजूद चीनी विदेश मंत्री छिन कांग ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत और चीन को शांतिपूर्ण एवं मैत्रीपूर्ण सह-अस्तित्व और परस्पर लाभकारी सहयोग का मार्ग तलाशना चाहिए।
विदेश मंत्री एस जयशंकर और छिन कांग ने भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की। जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष को पूर्वी लद्दाख सीमा विवाद सुलझाने और द्विपक्षीय संबंधों के विकास के लिए सीमा क्षेत्रों में अमन एवं शांति सुनिश्चित किये जाने के महत्व के बारे में बताया। यह बैठक शंघाई सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की परिषद (सीएफएम) की बैठक से इतर एक तटीय रिसॉर्ट में हुई। छिन ने माओ से-तुंग के नेतृत्व में चीनी साम्यवादी क्रांति और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान चीन में सेवाएं देने वाले भारतीय चिकित्सक डॉ.द्वारकानाथ कोटनिस के रिश्तेदारों से भी मुलाकात की। विदेश मंत्रालय द्वारा यहां जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि मंत्री ने चीन और भारत के युवा प्रतिनिधियों से भी मुलाकात की।
2020 से भारत-चीन में तनातनी
छिन ने मई 2020 से पूर्वी लद्दाख में चल रहे सैन्य गतिरोध का जिक्र किए बिना कहा कि दोनों देशों को शांतिपूर्ण और मैत्रीपूर्ण सह-अस्तित्व की राह तलाशनी चाहिए। जयशंकर ने एक ट्वीट में कहा कि लंबित मुद्दों के समाधान और सीमा क्षेत्रों में अमन एवं शांति सुनिश्चित करने पर ध्यान रहा। उन्होंने कहा, ‘‘ चीन के स्टेट काउंसलर और विदेश मंत्री छिन कांग के साथ द्विपक्षीय संबंधों पर विस्तृत चर्चा हुई । लंबित मुद्दों के समाधान और सीमा क्षेत्रों में अमन एवं शांति सुनिश्चित करने पर ध्यान रहा।’’ जयशंकर और कांग के बीच पिछले दो महीनों में यह दूसरी मुलाकात है।
चीनी विदेश मंत्री मार्च महीने में जी20 विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने आए थे। भारत ने पिछले सप्ताह एससीओ रक्षा मंत्री स्तरीय बैठक की मेजबानी की थी। भारत, रूस, चीन और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के अन्य सदस्य देशों ने शुक्रवार को नयी दिल्ली द्वारा आयोजित इस बैठक में क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों और उससे संबंधित मुद्दों पर चर्चा की थी।