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रूस ने अपना पक्ष नजरंदाज करने पर दी G20 घोषणापत्र रोकने की चेतावनी, रूसी विदेश मंत्री सर्गेई ने सिर्फ भारत को दी ये छूट

नई दिल्ली में 7 से 10 सितंबर तक चलने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन को लेकर रूस ने अभी से इसके सदस्य देशों को कड़ी चेतावनी दी है। रूस का कहना है कि वह जी-20 के ऐसे घोषणापत्र को जारी नहीं होने देगा, जिसमें रूस का पक्ष और विचार शामिल नहीं किया गया हो। हालांकि रूस ने कहा ऐसी स्थिति में वह अपने दोस्त भारत को छूट दे सकता है।

Written By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: September 01, 2023 16:21 IST
सर्गेई लावरोव, रूस के विदेश मंत्री।- India TV Hindi
Image Source : AP सर्गेई लावरोव, रूस के विदेश मंत्री।

नई दिल्ली में 7 से 10 सितंबर तक होने वाले जी-20 सम्मेलन से पहले रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने बड़ा बयान दिया है। रूसी मंत्री ने चेतावनी दी कि अगर रूस के पक्ष को नजरअंदाज किया गया तो वह जी20 घोषणापत्र को रोक देगा। विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने शुक्रवार को कहा कि यदि जी-20 का घोषणापत्र यूक्रेन और अन्य संकटों पर मास्को की स्थिति को प्रतिबिंबित नहीं करता है, तो वह इसकी अंतिम घोषणा को रोक देगा। इसके बाद प्रतिभागियों को एक गैर-बाध्यकारी या आंशिक विज्ञप्ति जारी करने के लिए छोड़ दिया जाएगा। रूस ने इसके लिए भारत को छूट दी है कि वह अध्यक्ष और उसका भरोसेमंद पार्टनर होने के नाते सामान्य विज्ञपत्ति जारी कर सकता है।

बता दें कि जी-20 सम्मेलन की भारत अध्यक्षता कर रहा है। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव 9-10 सितंबर को नई दिल्ली में 20 अग्रणी औद्योगिक और विकासशील देशों के समूह की बैठक में रूस का प्रतिनिधित्व करने आने वाले हैं। लावरोव ने प्रतिष्ठित मॉस्को स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल रिलेशंस में छात्रों से कहा, "अगर हमारी स्थिति प्रतिबिंबित नहीं होती है तो सभी सदस्यों की ओर से कोई सामान्य घोषणा नहीं की जाएगी।" रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, लावरोव ने कहा कि पश्चिम ने शिखर सम्मेलन की तैयारी के लिए बैठकों में यूक्रेन का मुद्दा उठाया था, जिस पर रूस ने जवाब दिया था कि "यह मुद्दा हमारे लिए बंद हो गया है"। उन्होंने पश्चिम पर अपने स्वयं के एजेंडे को आगे बढ़ाकर अंतरराष्ट्रीय संस्थानों को कमजोर करने का आरोप लगाया। 

जी-20 के लिए लावरोव ने दिया ये सुझाव

भारत में हो रहे जी-20 शिखर सम्मलेन को लेकर सर्गेई लावरोव ने सुझाव दिया कि यदि जी20 बैठक में आम सहमति नहीं बन पाती है, तो जी20 अध्यक्ष द्वारा एक गैर-बाध्यकारी विज्ञप्ति जारी की जा सकती है। लावरोव ने कहा, "एक अन्य विकल्प एक दस्तावेज़ को अपनाना है जो जी20 क्षमताओं के क्षेत्र में विशिष्ट निर्णयों पर ध्यान केंद्रित करता है, और हर किसी को अपनी ओर से बाकी बातें कहने की अनुमति देता है।" पिछले वर्ष इंडोनेशिया के बाली में हुए जी-20 शिखर सम्मेलन में सर्वसम्मित से एक घोषणा करके कहा गया कि इसके अधिकांश सदस्यों ने यूक्रेन में युद्ध की निंदा की है, जबकि कुछ देशों ने संघर्ष को अलग नजरिये से देखा। मगर इस बात को शिखर सम्मेलन के अंतर में स्वीकार किया गया। बता दें कि जी-20 देशों को यूक्रेन युद्ध जैसे देशों पर सर्वसम्मति से एक घोषणा पत्र जारी करना होता है।

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