Pakistan-Russia: भारत के दोस्त रूस ने अब हिंदुस्तान के दुश्मन पाकिस्तान से करीबी बढ़ाना शुरू कर दिया है। पहले कच्चा तेल दिया, फिर गैस पहुंचाई। अब पाकिस्तान में रूसी दूत इस्लामाबाद पहुंच रहे हैं। पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा के बीच रूसी दूत का पाकिस्तान जाना, यह टाइमिंग रूस की नीति पर सवाल खड़े कर रही है। हालांकि रूस भारत का परंपरागत साझेदार है। फिर भी रूस के डिप्टी विदेश मंत्री आंद्रेय रूदेंको बुधवार को इस्लामाबाद के दौरे पर आ रहे हैं। पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक रूसी मंत्री पाकिस्तान के साथ राजनीतिक मसलों पर चर्चा करेंगे। इस यात्रा को रूस और पाकिस्तान के बीच संबंधों का नया स्वरूप माना जा रहा है।
पाकिस्तान और रूस के बीच शीत युद्ध के समय से गतिरोध बने रहे। फिर भारत से दुश्मनी के कारण भी रूस से पाकिस्तान की दूरी बनी रही। लेकिन अब रूस और यूक्रेन की जंग के बीच और अमेरिका द्वारा रूस पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद भी अब पाकिस्तान और रूस की करीबी पर वैश्विक डिप्लोमेसी में सुर्खियों में है।
पाकिस्तान और रूस के रिश्तों के 75 साल पूरे
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करके कहा कि पाकिस्तान और रूस दोनों द्विपक्षीय राजनीतिक विचार विमर्श करेंगे। पाकिस्तान और रूस दोनों ही द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति, और ज्यादा सहयोग बढ़ाने के क्षेत्रों की पहचान तथा क्षेत्रीय एवं वैश्विक घटनाक्रम पर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे। दरअसल, पाकिस्तान और रूस दोनों ही इस साल राजनयिक रिश्ते के 75 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं। एक समय था तब अमेरिका और रूस के बीच शीत युद्ध चरम पर था, तब पाकिस्तान अमेरिकी खेमे में था। अफगानिस्तान में रूस और तब के सोवियत संघ की सेना के हमले के समय पाकिस्तान और रूस के रिश्ते खराब हो गए थे।
45 हजार टन तेल लेकर कराची पोर्ट आया रूसी जहाज
रूस से पाकिस्तान की बढ़ रही दोस्ती इस बात से भी जाहिर हो रही है कि रूस का तेल लेकर पहला शिपमेंट हाल ही में कराची पोर्ट पर पहुंचा है। इस जहाज से 45 हजार टन तेल पाकिस्तान आया है। अभी 50 हजार टन तेल पाकिस्तान फिर से पहुंचने वाला है। पाकिस्तान को उम्मीद है कि रूस का तेल उसे सस्ता पड़ेगा और उसे खाड़ी देशों से तेल कम खरीदना पड़ेगा। यही नहीं, अफगानिस्तान के रास्ते पाकिस्तान के पास रूस की गैस भी पहुंंची है। पाकिस्तान विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर की कमी होने से चीनी मुद्रा युआन में रूस से तेल की खरीदी कर रहा है।
अमेरिका और रूस, दो नाव पर सवारी पाकिस्तान को न पड़ जाए भारी
विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान अब रूस के साथ भी भले ही अपने संबंधों को मजबूत कर रहा है। लेकिन पाकिस्तान को अमेरिका और रूस दोनों को साधकर चलने में कहीं मुश्किल न खड़ी हो जाए। यूक्रेन युद्ध के बाद रूस बनाम अमेरिका की जंग तेज होती जा रही है। ऐसे में पाकिस्तान को किसी एक पक्ष को चुनने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। पाकिस्तान जहां रूस से दोस्ती बढ़ा रहा है, वहीं वह उस आईएमएफ से लोन मांगने के लिए हाथ जोड़ रहा है, जो अमेरिका के इशारे पर काम करता है। ऐसे में पाकिस्तान के लिए रूस और अमेरिका, दो नाव पर सवारी करना कहीं भारी न पड़ जाए।